अपने नाम से ही हो प्रदर्शित,
अनेकों गुणों की तुम खान हो,
पढ़ाई के अलावा भी अव्वल,
प्यारी 'प्रचिता' तुम मेरी शान हो,
वक्ततव्य में भी तुम हो निपुण,
अपने पापा के सपनों का गान हो,
कर्म से रहना तुम हमेशा अमोघ,
अपने परिवार की तुम जान हो,
ईश पूजा, संस्कृति में रुचि,
अभि-नृत्य में तुम नटराज हो,
हाथों में भी बसा तुम्हारे जादू,
मंत्र गायन में भी सरताज हो,
जन्मदिन पर तुम्हे दे रही दुआयें,
हृदय-भावनाओं की सदा ये तान हो,
रहो स्वस्थ, निर्भीक और चिरायु,
हम सबका बस पूरा अरमान हो।
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