हाँ कमिया थी उजागर
क्योंकि, हम युवा थे
गलतियो ने ही, आज
जीतना सिखा दिया
हाँ हम युवा थे
अपनी कमियो मे
बहुत कुछ नया कर जाते हैं
हाँ कमियों मे ही जीत ढूढ़ते हैं
आत्मपूर्ण लेखन ✍️
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झूठ, सत्य पर निलाम कर दो
सुदामा को, कृष्ण से बड़ा कर दो!
मित्रता, भाव निस्वार्थ कर दो
तुम कलयुग, को द्वापर कर दो!!
तीनो लोको का मान दान कर दो
द्वारिका, सुदामा के नाम कर दो!!
आत्मपूर्ण लेखन✍️-
एहसान उन ख्वाबो का
जिनने कमियो को सोने न दिया
जागी जब भी हकीकत मेरी
मेरे विश्वास ने मुझे रोने न दिया
आत्मपूर्ण लेखन✍️-
दान व मतदान
.. नियत देख कर करना
जाती धर्म से निकल कर करना
आत्मपूर्ण लेखन✍️
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खड़े हो कर खिलड़ी पर
एहसास किनारे रख लिया
कुछ जीवन की यादो को
दूर तलक निहार लिया
कुछ व्यस्त भले दिन चर्या मे
घर को अपने निकल चले
कुछ लगे रहे,
दो चार पैसो को
छोटी बड़ी नई खुशीयो को
खुद से मिलना भूल गए
वो जीवन जीना भूल गए!!
आत्मपूर्ण लेखन ✍️
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बड़े वक्त के बाद बूंदों का
...एहसास हुआ...
पलके एहसास मे भींगती गई
आँखे कुछ कहती..
पर प्यास, सागर हो गई!
आत्मपूर्ण लेखन✍️-
थोड़ा विचारो का रंग बदल कर देखो
ज़िंदगी की shine निखर कर आएगी
आत्मपूर्ण लेखन✍️-
किसी पुराने पन्ने,
को ढूंढ रहा हूं..
यारो..
अधूरी..
कविता जोड़ रहा हूँ
जो शब्द थे बिखरे..
उन्हे सहेज रहा हू..
जो भूल गए
उन्हे fb मे ढूंढ रहा हूँ
उन्हे fb मे ढूंढ़ रहा हूँ
आत्मपूर्ण लेखन ✍️-
मेरी खामोशी
मुझमे इतनी गहरी
की लोग
अनुमान व अरोप
थोपते ही गए
आत्मपूर्ण लेखन
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