आवारा हवा का झोंका हूं
आ निकला हूं पल दो पल के लिए
तुम आज तो पत्थर बरसा दो
कल रोवोगें मुझ पागल के लिए
दिल और जिगर तो कुछ भी नहीं
एक बार इशारा तो कर दे
मैं खुद को जला भी सकता हूं
तेरे आखों के काजल के लिए
Not mine but pasand aaya to post कर dia-
एक रात ठहर जाएं हम घर में तेरे लेकिन
छत पर ना सुला देना
हम नींद में चलते हैं
- अल्ताफ राजा-
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ अल्ताफ हिन्दी मुस्कुराती है-
Hum jispe mar rahe hain wo hai baat hi kuch aur,
Aalam mein tujhse lakh sahi, tu magar kahan.-
तमनाओ में उलझाया गया हूं,
खिलौने दे के बहलाया गया हूं,
सबक लेना हो जिनको ,
मुझसे ले लो,
मोहब्बत में यूं तड़पाया गया हूं-
बिन तुझे लिखें, नींद कहां आएगी
लिख तुझको फिर नींद उड़ जाएगी;
ऐ कविता तू और कितना सताएगी...!!
Bin tujhe likhe, nind kaha aaegi
Likh tujhko fir nind ud jayegi;
A kavita tu aur kitna satayegi...!!-
Duniya me Do tarike ke log hote hain.
Ek jo lekh ta hain!
or ek jo lekhe huwe raste pe chalta hain!-
मक़ाम-ए-दिल न मिला तो हम क्या करेंगे
तेरी तस्वीर से ही हम दिल बहलाया करेंगे
उल्फ़त के अफ़साने हज़ार होंगे इस ख़ुदाई में
हज़ारों में हम सिर्फ तेरा हाँ तेरा ही चर्चा करेंगे
हर इक अल्फ़ाज़ को हम यूं तुझपे मोड़ देंगे
जो न मुड़ सके हम कल से उनसे तौबा करेंगे
कि हर इक साल बाद-ए-बहारी आयेगी
तब हम गुलशन में जा गुल से मिला करेंगे
चर्चा हुआ कहीं अगर दिल के ज़र्ब का सुब्रत
तेरे अल्ताफ़ को हम ख़ुदा का बताया करेंगे
इशरत-ओ-दिल का ताल्लुक़ नही अब तो क्या
दिल-ए-नादान तेरे लिए हम फिर से वैसा करेंगे
~अनुज सुब्रत-
Manzil Ko intezar Hain tumara.
Deri mat karna.
Kahin chor chura na le manzil ka rasta tumara.-