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इस एक इश्क़ ने तमाम जहां भर के
चैन ओ सुकून पर डाका डाल रखा है
तू कहता है ताउम्र तेरा साथ
देने के लिए आया है वो अजी हुज़ूर
तुमने ये कैसा वहम पाल रखा है
गलियों गलियों घूमते हो
दर बदर जिसकी तलाश में
तुम्हारे लिए ही ये सवाल रखा है
तन्हाई से भागते हो
रातों को जागते हो
मैं पूछता हूं "नरेंद्र" आख़िर
तुमने इस एक इश्क़ को
इतना क्यों उछाल रखा है...-
Jo keh nahi sakti wo likh lati hu
Jo seh nahi sakti alfaz bna deti hu
Koi samajhta nahi mere jazbat
Likhker khud ko samjha lati hu
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अपने ही जाल में मकड़ी कहा फंसती हैं,
आकर्षित कर बाहर ही न निकलने देती है।
देख मन को मोहने वाली उस ज़ालिमा की
उन हसीं आंखो से नर कहा बच पाताहै।।-
आज मैंने उस आईने को भी पत्थर मर दिया ,
जो मेरी सारी सच्चाई जनता था ,
अब मै एकलौता गवाह हो गया,
अपने सारे गुनाहो का,,-
जिंदगी ने एक पल में खामोश कर डाला,
दूसरों के हिस्से का गम भी हमें दे डाला,
जिनको समझा हमने अपना,
उन्होंने ने हीं हमें अंजान कह डाला,
बस इसलिए खुशीयों ने हमसे अपना,
नाता तोड़ डाला....!!-
में तुमसे प्यार करती हूं ... मगर दोस्ती वाला,
धोबी का कुत्ता......घर का ना घाट का !!-
Samjh nahi pa raha dil
Isko kya itna bura laga
Zillat se bhari yeh zindagi
Yaa yeh rooh chheelti hui
tumhari khaamoshi
Kaash jaan paatey tum
Ki jaan jaati hai
Jab jaan nahi paatey tum
Ki kitney laazmi ho tum
Meri har kami k liye-
पहले ही बता देना था,
दिल में जो कुछ भी था,
उसे जता देना था,
अपने अश्कों को भी बहा देना था,
दर्द को अब अलविदा कह देना था,
पुरानी बातों को भूला देना था,
नये सवेरे को अपना लेना था,
हर जख्म को अब दफना देना था
आने वाले कल को हस के गले लगा लेना था... !!-