Sandhya Anzal   (Sandhya)
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Joined 29 September 2019


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Joined 29 September 2019
23 NOV 2022 AT 17:54

दुनिया में रहने के लिए
दुनिया से लड़ना भी पड़ता है...
जिस काम से दिल ये डरता है
कभी कभी वो करना भी पड़ता है...
हर वक़्त भागना नहीं होता
कहीं पहुँचने के लिए चलना
भी पड़ता है...
सूरज की तरह जलने के लिए
सूरज की तरह ढलना भी पड़ता है...

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21 NOV 2022 AT 18:28

यादों में तेरी यादें थी
क्या यादें थी कुछ याद नहीं...
तेरी याद में सब कुछ भूल गई
क्या भूल गई कुछ याद नहीं...
याद हो तुम...
बस अब एक याद हो तुम...
क्यों याद हो तुम
बस ये याद नहीं...!!!

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21 NOV 2022 AT 18:15

कह पाते तो तुमसे हम क्या कुछ नहीं केहते
कह पाते तो तुमसे हम क्या कुछ नहीं केहते...
टूट जाते हैं लोग मगर वो कुछ नहीं केहते
किसी के चेहरे पर रखें सन्नाटे क्या कुछ नहीं केहते
और लोग कहते हैं सन्नाटे कुछ नहीं केहते...!!!

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21 NOV 2022 AT 18:07

कोई जरा सा खोने पर भी रोने लग जाता है , कोई सब कुछ खो कर भी हसता रह जाता है, कोई चार कदम चल कर ही थक जाता है, कोई मंजिल मिलने पर भी आगे बढ़ जाता है, कोई थोड़ी सी मुसीबतों से हीं हार जाता है, कोई आंधी को भी मात दे आता है, कोई जरा सी भी तकलीफ ना सहन कर पाता है, कोई दर्द बेहिसाब लेकर भी हर वक़्त मुस्कुराता है, कोई जरा सी बात पे खफा हो जाता है, कोई हर बात पर सिर्फ ठहाके लगता है, कोई सब कुछ पा कर भी अधुरा रह जाता है, कोई थोड़े में ही सुकून से भर जाता है, कोई जिंदगी से हार जाता है, तो कहीं जिंदगी हार जाती है, कभी सास टूट जाती है, तो इंसान बिखर जाता है,पता नहीं ये जिंदगी भी कैसे कैसे रंग दिखाती है, कहीं उजाला छूट जाता है, कहीं अंधेरा वापस लौट आता है...!!

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20 AUG 2022 AT 12:08

Dar k dar si hi dar jawoge to fir kadam kese aage badhaoge..!!

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18 AUG 2022 AT 18:13

Dar k dar si hi dar jawoge to fir kadam kese aage badhaoge..!!

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11 AUG 2022 AT 20:08

अपना घर आने से पहले इतनी गली क्यों आती है
कुछ लोगों के दूर जाने से आंखों में इतनी नमी क्यों आती है
यहाँ कुछ अपनों की पहचान परायों में कैसे बदल जाती है
टूटते हीं हर शख्स की यहाँ मुसकान कहीं खो जाती है
खुल के जीने का हक तो है हम सभी का
फिर पिंजरों में कैद कुछ लोगों की जिंदगी क्यों हो जाती है

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18 MAR 2022 AT 0:47

सुनाते सब हैं, सुनता कोई नहीं...
समझाते सब हैं, समझता कोई नहीं...

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25 FEB 2022 AT 1:20

खामोशी में अल्फ़ाज़ छुपाया करते हैं...
अब हम हद से ज्यादा मुस्कुराया करते हैं...!!

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20 DEC 2021 AT 23:48

कुछ तो था तेरे मेरे दरमियाँ....
जो बदल कर भी नहीं बदला...!!

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