कुछ लोग नक्शे मात्र पर लकीरें खीचकर विभाजन दर्शाने का प्रयत्न करते है
जरा नज़रे उठाकर देखो भारत आज भी अखंड है-
में अपनी खुदकी पेहचान खुद ही लिखूंगा,
कठिन रास्तो पे चलके नई दास्ताँ खुद लिखूंगा,
एकेला चलूँगा मगर ऐतिहासिक कारवा लिखूंगा,
पैर ज़मीन पे रख सपनो में आसमान लिखूंगा,
कांटे होंगे दिशा पे भरे मगर में अपनी भाग्य खुद लिखूंगा,
जब भी संकट आए मातृभूमि पे मेरी,
में सरहद कि लकीर अपनी लहू से सीचूंगा,
ए भारत माँ मेरी, जब भी आशिक़ी कि बात होगी,
सीना चिरके उसमे हिंदुस्तान मेरी पेहचान लिखूंगा।-
जन गण का है मान बढ़ाता
जन गण समर्पित एक भारत
एक भारत, श्रेष्ठ भारत
असमता रहित अखंड भारत-
कोई मंदिर कोई मस्जिद, कोई धर्म पर लड़ता है,
मेरी गीता मेरी कुरान, कोई उपदेश पर लड़ता है।
बनाया धर्म तेरा है, बनाया नाम तेरा है,
संगठन में है शक्ति, रवि अरदास करता है।।-
व्हाट्सअप पे देशभक्ति का स्टेटस डालने से क्या होगा ?
जब तुम कूड़ा भी कूड़ेदान में नही डाल सकते !-
मै अर्जुन कलयुग का था
पितामह भी कलयुगी अवतार था
बाण उठा आज बंदुक था
हहाकार का विस्तार था
भरतवंश का मान था
भरतखण्ड का विस्तार था
रहा ना गया कुछ सहा ना गया था
धर्म का मान अधर्म का बोझ अपार था
किया संधान लगाया निशान था
सोचो,प्रयास ना मेरा रहा बेकार था
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प्राचीन ऋषि मुनियों के तपोबल से दीप्तिमान है !
स्वयं परब्रम्ह परमेश्वर को भी जिसपे अभिमान है !
धर्म-तत्वज्ञान का जिसने दिया विश्व को वरदान है !
अनादि अनंत अनन्य ऐसा ये अपना हिंदुस्तान है !-
आज का ही वो "_काला दिन_" है जब करोड़ो लोगों का
"अखण्ड भारत"
का सपना चूर-चूर हो गया था ।
अखण्ड भारत के लिए किए गए बलिदानों की कतारों के
"_परखच्चे_" उड़ गए थे !!
❗️❗️"14 अगस्त" ❗️❗️
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अर्वाचीन सभ्यता की जन्मस्थली
महर्षियों की ये कर्मस्थली
योग से पल्लवित विज्ञान से पुष्पित
सहस्त्र वर्षो का इतिहास ज्ञान का ये प्यास
दौर था जो असभ्यता का ये था
केंद्र सभ्य-स्वावलंबीयों का
क्रूरता के दंश से बाहरीयों के वंश से
छिन्न-भिन्न था अपनो के दंश से
सीखता गया, समेटता गया
हर संस्कृति को अपना गया
कितने जातियों ने कितने ही जाहिलों ने
तीक्ष्ण नेत्र डाले थे उतनो को गले लगाया
जो विधर्मी आये थे,बर्बर और बेगैरत
असहिष्णुता का पाठ सीखाये थे
सदियो तक शासन किया
जातियों मे तोड दिया
दिये फिर धक्के हजार
दृढ़तापूर्वक सबको किया बेकार
तोड़ने कि कल्पना उसकी निराधार।।
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