भीष्मवचनासाठी युद्धी, स्ववचन मोडीतो ।
अनादिरादि, थोरामोठयांपुढे हाथ जोडीतो ॥-
Disciple :- Sir, How much Should I love her..?
Master :- Son, You should love her enough, to let her go..!-
तुम करते हो वो जो तुम्हें पसंद आता है ।
मैं पसंद कर लेता हूं, जो भी करता हु ।।
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हाथ मिलाके दोस्ती का इजहार करते हो...
गले मिलके केहते हो की प्यार करते हो...
मगर पीछे मुड़के देखा तो पता चला,
साले तूम तो पीठ पीछे वार करते हो...-
गुस्से मे ही सही,
लौट आता था वो शक्स हर बार...
आज हसते हुए जा रहा है,
जनाब, अब वो लौटेगा नही...
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हर गुनाह की माफी होती है,
साहब, मैने ये फरीयाद झुठी की थी...
ये अफसोस नही जाता दिल से,
एक रोज, माँ पे आवाज ऊंची की थी...
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बटवा क्या नीचे गिरा मेरा, सारे दोस्त बिखर गए !
तकदीर का खुमार तो देखो, सब वादो से मुकर गए !
बडा नाज था मुझे मेरे "गुलशन-ए-बहार" पर,
आज धूप ने हसकर पुछा, बता तेरे दरख्त किधर गए ?
- Amrut Dabir
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मोह माया में भटक चुकी मानवता को, श्रीकृष्ण
की नीति सिखाई थी..!
स्वामी विवेकानंद ने फिरसे भारत को, विश्वगुरु
की गद्दी दिलाई थी..!
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मैय्या साची है तेरो ये प्यार! ओ मैय्या साची है तेरो
ये प्यार!
तुने तार दियो तारनहार! ओ मैय्या तुने तार दियो
तारनहार!-
योगी जोगी जनम जनम तक जिस ईश्वर को मनावे.
वो नारायण रों रों कर मैय्या तेरी गोद में आना चाहे.-