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Paras jatav
Du students
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चाणक्य सा तेज जग... read more
एक ठिकाना नया ढूंढा है क्या
सच्चाई से भागने का
या फिर कहो काम से बचने का
विद्यार्थी यदि अपना कर्तव्य भूल जाए
तो चारो और अज्ञानता ही होती है
यदि व्यक्ति अपने हालात देख कर भी
चुप है तो उसे ज्ञात हो जाना चाहिए
की उसका कोई भविष्य नहीं
अगर इसी प्रकार अपने कर्म कर्त्तव्यों से बचने के लिए
ठिकाने ढूंढते रहे बचते रहे , तो दुख दर्द पीड़ा ही
तुम्हारे मित्र बनेंगे जो तुम्हे ले जाएगें तुम्हारे सर्वनाश की और
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ये दरिया ये समंदर
सब एक ही तो है पानी
ये झील ये झरने
सब एक ही तो है पानी
ये नदियाँ ये नहर
सब एक ही तो है पानी
ये गंगा और आबेजमजम
सब एक ही तो है पानी-
।। परछाई ।।
भौर होते ही कही दूर चला जाता हूँ
कहि दूर ना हो जाये मुझसे हमसफर ये मेरा
मैं सांझ होने से घबराता हूँ-
रक्त को ज्वाला सी भड़काकर , धरती लहू लहू करदी
धड़ से मस्तक अलग हुआ , तब आज़ाद हुई अपनी धरती-
महाराणा भाले से शिवाजी तलवार से
🚩 और बंदूक से आज़ाद 🚩
वही क्रांति , मेरी कलम से होगी आज-
निश्चित संकल्प पूर्ण करें हम
प्राणों से भी प्यारा
विश्व विजय ये सदा रहे
भारत अखंड हमारा-