बदलना नहीं खुद को...
तू ऐसे ही पसंद है मुझे!
यूं ही बात करना...
बस इतना ही कहूंगी तुझे!
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मैं लिखता रहा उस पन्नों पे
वही पन्ने हमेशा गुम हो जाते हैं
जो दिखता है वो होता नहीं
जो चाहिए वह कहा तकदीर में लिखा हुआ होता है....-
Hum Shayad Aur Naa Mile
Par Tumhare Liye Yeh Muskurahat
Hamesha Khiltee Rahgi...-
कुछ रंगों का खुमार था,
कुछ आंखों का नशा...
कुछ बहके कदम थे,
कुछ ठहरा समाँ...
कुछ नादानियाँ हमारी..
पर तुम्हारी बेवकूफियां हज़ार...
क्या रंग लगाने चले थे...
थे पहले से सुर्ख वो तलबगार।
मासूम सी नज़रों से रंगे
हम कुछ दूर से ही रुखसत हो लिए।
वो क्या है ना उनके आशिक कतार में
पहले से थे हज़ार।।-
खयाल उतरता नहीं तेरा, मेरे जहन से ,
तुझे इश्क़ है अब भी, खुश हैं इस वहम से....
और यूँ तो मयस्सर नहीं हमको अब दीदार भी तेरा ,
पर अंधा इश्क़ करके बैठे है, मेरे दर्द मरहम से....-
Kya likhti ho aap samajh me kuch aata nahi
'Like' karne me Waise mera kuch jaata nahi.-