क्या लिखूँ
आज इस सवाल में हूँ
ख़याल तेरा आया अब मैं मिज़ाज़ में हूँ,
तेरे हर हिस्से को आज मैं बताती हूँ,
उन छोटी छोटी बातों से तुझको समझाती हूँ,
तो इस क़दर मुझमें बसा है,
तेरा हर हिस्सा मेरे अंदर रमा है,
सास तू ले तो प्राण मेरे चलते हैं,
आबाद हूँ मैं ये सोचकर सब जलते हैं,
हाँ तेरे होंठों का ज़िक्र करू तो,
तेरी हर बात में यु मुस्कुराना मुझे अच्छा लगता है,
हाँ तेरा मुझे ख़यालों में यूँ छेड़ कर जाना अच्छा लगता है,
तेरा मनाना, तेरा रूठ जाना मुझे अच्छा लगता है,
तेरी रूह से मेरी रूह तक का ये रिश्ता मुझे सच्चा लगता है,
तेरी आँखों में मुझे एक राज दिखता है,
अल्फाजों से क्या कहूँ मुझे,
मुझे इनमें मेरा नाम दिखता हूँ,
अब इस क़दर तू मेरा है,
तुझमें ही मुझे मेरा भगवान दिखता हैं॥
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