गिर कर उठना, उठ कर गिरना
विशाल आसमां में अकेले उड़ना
कभी अपने लिए,कभी अपनो के लिए लड़ना
रोकों नहीं टोंको नहीं सीखने दो उसे खुद से जीना
कभी जो वो गलत उड़ान भरने लगे
सिखलाओ ज़मीं का महत्व उसे
पर समझो ना घोंसले की मर्यादा उसे
गलती करके स्वंय सुधारना सीखने दो उसे
फूल नहीं फ़ौलाद बनने दो
परिंदो को खुल कर उड़ने दो
चट्टानो से भी लड़ना सीखने दो
रिहा कर उसे खुद का घोंसला बनाने दो।।
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आसमां में उड़ने से पहले
जमीं पर गिरना भी अच्छा होता है!!
कोन तेरे पर बनेंगे ,कोन पराये
आलोचकों का होना भी अच्छा होता है!!
क्या हुआ सब घुल गया है जिंदगी में तो
पसीने में खून का मिलना भी अच्छा होता है!!
खरोच है जिंदगानी में यूं तो
पर कुछ जख्मों का
भी जिंदा होना भी अच्छा होता है!!
राह में कुछ राहगीर मिलेंगे कुछ जहांगीर
फूलों के सफर में कुछ कांटो का
होना भी अच्छा होता है!!
- blueheart 💙
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थोड़ा उदास, निराश पर लिए कुछ खास निकला हूँ।
हारा नही अभी, बस जीत की तलाश मे निकला हूँ।
सपना है एक जिसे खुली आँखों से तकता हूँ।
पूरा होगा वो बस इसी विश्वास मे निकला हूँ।
मंज़िल दूर है थोड़ी पर उसी राह में चलता हूँ।
पास होगी एक दिन बस इसी आस मे निकला हूँ।
हाँ गिरने के डर से थोड़ा हताश भी रहता हूँ।
चलने धरती पर नहीं उड़ने आकाश मे निकला हूँ।
ऐश-ओ-आराम सारे घर पर ही छोड़ आया हूँ।
छोड़ सारे अपयश यश के विकास में निकला हूँ।-
क्या कभी अपने इन सपनों को पकड़ने की कोशिश की है
तितलियों की तरह पल भर में उड़ जाते हैं
सिर्फ इसे पाने की ख्वाइश की हैं
हाथों से छड़ भर में निकल जाते हैं-
सोचते ही मत रहिए साथी, साथ में करते भी जाना है।
जो वादा किया था आपने, पूरा कर के भी दिखाना है।
मुश्किलों का क्या है इनका तो काम ही आना जाना है।
हम "एक दूसरे के साथ" है तो साथ ये "सारा ज़माना" है।
मंज़िल की केवल चाह ही नहीं है हमें हमको मेरे साथी।
इतना जान लीजिए कि अपना ये दिल इसका दीवाना है।
कोई भी रास्ता हो हम कभी भी मंज़िल नहीं बदलते हैं।
जो साथ है वो अपना है, बस इतना सा ही अफ़साना है।
जिसने हमें समझ लिया उसके लिए हमसे अच्छा कोई नहीं।
बाक़ी बाकी बची हुई दुनिया का क्या, उनका साथ बेगाना है।
हमने उन्हें चाहा, उन्होंने हमें माँगा, ईश्वर ने अभयदान दिया।
अब इस ईश्वरीय आशीर्वाद को आजीवन साथ लिए जाना है।
जीवन के खेल में "अभि" सबको एक जीवनसंगिनी भी चाहिए।
उसके साथ हो जाने से हर लक्ष्य आसानी से ही मिल जाना है।-
मंज़िल मिल ही जाएगी, हम मेहनतकश लोगों से कब तक दूर जाएगी।
दिल कहता है कि एक दिन ये हम उद्यमी जन के क़रीब आ ही जायेगी।
"लक्ष्य की सुपुत्री" जी भर के हम सब की "अपनी बुआ परीक्षा" लेगी।
कब तक ये "अपनी बहनों विपदा और परेशानी" को लेकर के आएँगी।
इसके "बड़े भाई संघर्ष" भी तो आकर के बड़ा घमासान मचाते रहेंगे।
"इसकी चाची असफलता" भी हमारे आत्मविश्वास की बलि चढ़ाएगी।
"मंज़िल के पिता स्वप्न" भी आकर के हर रात हमारी नींद चुराते रहेंगे।
उनके आने से हमारे साथी उत्साह और संयम की बहुत याद आएगी।
चलते चलते हमारे पैरों की एड़ियाँ भी घिस जाएगी, उंगली फूल जाएगी।
"अपने गुरु मेहनत" का साथ नहीं निभायेंगे हम मंज़िल कभी नहीं आएगी।
कुछ अलग सा सृजन है ये, कुछ अलग सी कलाकारी है, अलग ख़ुमारी है।
अलग-अलग रास्तों पर चलते हुए हमारी प्यारी "मंज़िल दीदी" मिल जाएगी।
जिसने भी मेहनत किया "अभि" उसको आख़िरकार मंज़िल मिल ही जाती हैं।
ये मंज़िल एक परिणाम है आपके मेहनत, संयम, प्रतिभा का, जो रंग लाएगी।-
...Kitab...
Zindgi me har kadam kaam aati h kitab
Khushi ho ya gam shi rah dikhati h kitab
Chod deta jb hr koi sath
Tb hme kaabil insaan bnati h kitab
Kitabo k bare me mai kya likhu
Sbki kismat badalti h kitab.............-
पढाई में मन लगाना कोई आसान काम नही है,
अपने भटकते और आजाद मन को एकत्र करना पड़ता है।।-
किस्मत आप का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी
जब मेहनत आपकी हाथ कि लकीरे बनाएगी
सब्र करो थोड़ा ज़माना भी बदलेगा और वक़्त भी
फिर देखो केसे आपकी मंजिल भी मुस्कुराऐगी-