अच्छे वक्त में मिठाई मांगने वाले,
बुरे वक्त में फोन भी नहीं उठाते....।-
पतझड़ में ही रिश्तों की परख होती है,
बारिश में तो हर पत्ता हरा ही दिखता है...।
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बस इतने से दिखते हो,
रोज़ बदलते हो,
शायद तभी अहमियत है तुम्हारी...!!-
जब बात बिगड़ने लगे तो,मुंह पर उंगली रख लेनी चाहिए क्योंकि बात अहमियत की है
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आज कोई बच्चा है,मैं नौजवां,
और कोई बूढा है, वक्त है कहाँ!
बात बडी गहरी लिखी है मगर,
अहम ने कितने घर नीलाम किए!
इस छोटी सी जिंदगी में सुकून था,
या हर वक्त कत्लेआम किए !!-
और अन्तत:
मैंने देखा ये एक खेल है।
भावनाओं का
अहमियत का
शब्दों का
अपनेपन का,
जो सिर्फ एक भ्रम है
यथार्थ नहीं।
ये खेला
जो सर्वत्र है
और हम समझते हैं
उनके लिए हम अहम हैं।-
मजबूरिया रही होगी शायद,
मगर हर बार नहीं ..
एक धोखा ये भी हैं, के..
अहमियत बता कर तुम दरकिनार करते हो ।
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Intezaar karana unki fitrat thi,
par vo bekhabar the
Kab intezaar karate karate,
unki ahmiyat khatm ho gayi
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नाराजगी उन्हें जताना जिन्हें फर्क़ पड़ता हो
प्यार उन्हें दिखाना जिन्हें फिक्र होती हो
दोस्ती यारी रिश्ते नाते सभी जरूरी होते हैं मगर
अहमियत उतनी देना जितनी जायज लगती हो-