My effort focus and goals will take me where I want to be
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“सब ठीक है?”
मैं मुस्कुरा देती हूँ,
क्योंकि क्या बताऊँ उन्हें,
कि “ठीक” का मतलब भी अब बोझ लगने लगा है।
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कभी-कभी सच में मन करता है कि सब कुछ छोड़कर कहीं शांत जगह पर चले जाएँ — जहाँ न कोई उम्मीदें हों, न कोई ज़िम्मेदारियाँ, बस सुकून हो, सन्नाटा हो और खुद से मिलने का वक़्त हो।
लेकिन यही ज़िम्मेदारियाँ ही तो हैं जो हमें मजबूती देती हैं, हमें किसी के लिए ज़रूरी बनाती हैं। थक जाना, ऊब जाना, रुक जाना — ये सब बिल्कुल सामान्य है। जरूरी है कि हम खुद को थोड़ा वक़्त दें, खुद से बात करें, और अपने भीतर के शोर को सुनें
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"Nature's way of saying, 'Let's evolve.'"
" (जीवन में एकमात्र निरंतरता परिवर्तन है)
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किसी की परवाह करना ,किसी को कैद लगता है और किसी को तीखा बोलना परवाह करना लगता है
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वो कहते हैं ना,
किसी के ना होने का एहसास हर किसी को है
पर किसी के होने का अहसास नहीं-
जब कभी किसी गलत काम को करने मैं डर लगे तो समझ जाना वो आपकी परवरिश है,
फिर भी आप वही काम करते हो तो
आपकी संगति का असर है.-