Rekha Jaicky   ("WordsTree...©")
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मेरी कोशिश को कामयाब कर दे
इस नाचीज़ को नायाब कर दे !
Joined 3 February 2020


मेरी कोशिश को कामयाब कर दे
इस नाचीज़ को नायाब कर दे !
Joined 3 February 2020
30 APR AT 6:27

मुझे चांद बताने वाले जानते है...
इक बेहतर तस्वीर के लिए बैकग्राउंड जरूरी है!

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30 APR AT 6:21

मैं राहत ना दे सकूंगी..
आहत तुझे रखूंगी उम्रभर..
फकत निभाऊँगी नफरत..
ताकिद दे रही हूँ खुद से..
बडी शिद्दत से ली है कसम..
तेरी इसमें भी मजा है..
हमें पता ही नही था..
चाहत नही थी करनी ..
बताया था तुझको..
वो तेरी ही जिद्द थी..
और राहत ना दे सकूंगी..
आहत तुझे रखूंगी उम्रभर..!!

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29 APR AT 22:14

वो मेरा सूकून दे दो..
वो मेरा जुनून दे दो..
वो मेरी नींद वो मेरे ख्वाब दे दो..
और कुछ ना दे सको तो ..
तुम्हारी तारीफ में लिखे ..
मेरे नादान शेरों को ..
बदलकर अपना नाम..
कभी जरा सी दाद दे दो..

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29 APR AT 6:42

बड़े सितारे जगह नही देते,
बडे बडे ब्रांड से सेटिंग रखते है !
वर्ना क्रिकेट के वैभव गली गली में,
चमकते है देश के हर शहर में !

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28 APR AT 21:28

May be meant for nothing neither man nor memories...!!

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28 APR AT 20:52

मोड़ तो बढती धड़कनों में भी है ..
ये ना हो, बढते बढते हद से गुजर जाए..
और मोड़ तो गिरती धड़कनों में भी है..
कहीं ये ना हो, बिन मुड़े पाताल से गुजर जाए..
मोड़ आएगा हकीक़त है जीवन की..

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25 APR AT 16:54

समझकर फूल इस कदर मसला मुझे ..
सोचा था हाथ खूशबू से महक जाएगा..
अंदाजा नही था उस जालिम को शायद..
हम फूल तो है मगर फूल हैं धतूरे के ..
लहूलुहान हथेली से दर्द की चित्कार उठी..
अब जालिम देखकर हथेली उम्रभर पछताएगा

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25 APR AT 7:16

आज लहू से लिखना होगा..
दर्द धरा को कितना होगा..
जब मासूस आँख का आंसू..
रक्तिम धरा पर बिखरा होगा..
दोष पूछती नादां सी आँखे..
और जवाब मांगती सांसें ..
वीर भुजाएं फड़क रही है..
दोषी स्वंय को सोच रही है..
इस निकृष्ट कर्म के आगे..
बौना खुद को समझ रही है..
दुश्मन की चालाक सोच भी..
पल्ला खुद से झाड़ रहा है..
युद्ध किसी का सगा नही है..
वीर युद्ध से डरा नही है..!

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25 APR AT 5:23

तु पहलगाम में निर्दोष लोगों का कातिल है...
तु बरसों से छुपकर कत्ल करता आ रहा है...
तु कायर अपराधी से घृणित कृत्य करता है..
तुझे अंजाम तक पहुँचाएँगे जल्दी, कर सब्र जरा..
कुछ अंतिम तैयारियाँ रह रही है बाकि..
शायद कुछ और सांसें अभी लिखी है तेरी..
शायद कुछ और घातें तेरी मुझे सहनी पड़ेगी ..
तेरे सम्पूर्ण इलाज का खाका खींच रहा हूँ..
साये तेरे सर से सब उठ ही चुके है..
जमीं तेरे कदमों तले की भी खींच रहा हूँ..
तू खुद घुटघुट कर तिलमिलाए जा रहा है..
तेरी दुर्गति होगी भयानक कल्पना से परे..
मेरी शमशीर की सुधा मिटाए तेरा वो लहू नही है !

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25 APR AT 4:36

वो जान गया है कि उसकी मौत का,
सामान जमा किया जा रहा है!
निर्दोष निहत्थों पर गोली चलवा कर,
अधूरी तैयारियों से युद्ध उकसा रहा है!
यह अनन्त पीड़ा पहलगाम में पहुँचाई गई,
कोई तीसरा तमाशबीन उकसा रहा है!
इस कठीन दौर से पार आना ही होगा,
योजना पूरी होने तक सब्र निभाना ही होगा !
भिखारी जैसे हालत है गद्दार धोखेबाज के,
अभी तो बस घुटनों पर ही लाये है तुझको,
कटोरा तेरे हाथों में थमाए है तुझको..
बाकि अभी तुझ से बदला रहेगा कायर...
जब तक कदमों पर नाक रगड़ता नही तू!

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