जिनके रोम रोम में
श्री राम बसते हैं
जिनकी कृपा से ही
श्रीराम मिलते हैं।
जिनकी दया करुणा से
चराचर जीव निश्चिंत जीते हैं।
जो साधुसंत के रखवाले हैं
जो सियाराम के अति प्यारे हैं।
जिनकी भक्ति सुन,
नेत्रों से अश्रु झरते हैं
जो ज्ञान, बुद्धि, बल, विनय
भक्ति, सिद्धि के दाता हैं
जिनकी उपकारों से
निहाल संसार सारा है।
जिनकी महिमा, प्रताप
हर युग में व्याप्त है।
उन महावीर,
रुद्र के अवतार
को कोटि दंडवत प्रणाम है।
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