जैसे मेरी सहेली है
ना जाने कितनी यादें जुड़ी है
कभी रो कर रातें गुज़री
तो कभी मौजो की बहार
क्या बताऊँ इस रात के अफसानों का हाल
ये खुद में ही खामोशियों की नवेली है
जैसे मेरी सहेली है
रात एक पहेली है-
Tere mere darmiyaan jo rishta hai
Yeh adhoora reh jae toh achha hai...
Bhale hi is Dil ko bas teri hi chahat hai
Par kuchh afsane adhoora reh jae toh achha hai..
Kabhi ek hi manjil ki rahi hua karte the...
Magar kuchh safar adhoora reh jae toh achha hai...-
कभी उनसे इक़रार का तो कभी इंतज़ार का,
अफ़साना लिख रहा हूँ मैं 'दिल ए बेक़रार' का,
फ़कत तिनकों से खेलते ही रहे, आशियाँ में हम,
आया भी, और गया भी, सनम, जमाना बहार का...-
किसको ख़बर थी कि
हमारे प्यार का जनाजा
इतनी जोर-शोर से निकलेगा।
ख़ैर हमने तो कभी
प्यार के बारे मे भी नही सोचा था।-
मेरे अन्दर का परिदां
अपना आशियाना तलाश करता हैं
जब वो ब़ज्म के भीड़ में
आँखों से अपना अफ़साना बयान करता हैं-
छुप छुप कर आना हमारे सपनो में...
देख ले ना कोई तुम्हे,
हमारे देखने से पहले...!!-
भला कैसे....🤗🤗
बयाँ करें हम...
इश्क़ का अफ़साना...💕
किसी को...
जी भर के रुलाया... 😌
तो किसी को...
खुलकर है हँसाया..!!!!😊-
काश! भिग पाँऊ तेरे शहर की बारिश में;
मेरी रात कट गयी इसी ख़्वाहिश में !-
मर गया वो अ़फसाना फ़साने लिखते-लिखते
पूरी मगर अपनी कभी कहानी ना लिख सका
ये तो लिखा उसने कि राजा वो था
मगर कौन थी उसकी रानी ना लिख सका— % &-