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!! अधूरी कविताए !!
ये आधा-सा चाँद मुझे याद दिलाता हैं,
मेरी अधूरी रह गई कविताओं की!
वो कविताए.....जो अधूरी हैं;
भाव के अभाव के कारण!
पर ये चाँद !
ये चाँद जानें क्यु अधूरा हैं,
शायद विरह की अग्नि ने इसे आधा कर दिया!
ये चाँद तो एक रात पूरा हो जाएगा,
पूर्णिमा की रात को!
पर वो कविताए !
वो कविताए कभी पूरी नही हो पाती,
जिनमे कमी रह जाती हैं भावनाओ की!!-
वो रात ही क्या जिसमें चांद ना हो
वो मोहाबत ही क्या जिसमें आप ना हो।।-
Duaa hai is eid par khuda se meri,
Ki..Tum mil jao mujhe kisi mod pe..
Aur ye eid ka adhura chand pura
ho jaye..-
मेरे चांद को देख,वो आसमां का चांद आज क्यूं शर्माता है
खुद में दाग पाकर, देख उसे बेदाग शायद वो घबराता है
हैरत की बात है, कि अधूरा चांद मुझे इतना क्यूं पसंद है
आज गौर से देखा तो पता चला
वो अधूरा चांद उनके दीदार में अपने पलकों को झुकाता है
और टहलने निकल जाए जो कभी इश्क मेरा छत पर,
पाकर इक झलक,आसमां का हर सितारा उनकी इबादत में मुस्कुराता है
ऐ ठंडी-ठंडी हवाएं उन्हें छूकर बड़े अदब से बहता है
कि हरबार खुद में छूपा उस आसमां के चांद को,
ऐ काले काले बादल हरबार मेरे चांद को खूबसूरत कहता है
कहते हैं वो,इक अरसे बाद साथ बैठें हैं दोनों,
तेरे इन्तजार में ऐ आसमां के चांद
हरबार की तरह साथ देख हमें, वो आज भी नहीं निकलता है
मेरे चांद को देख,वो आसमां का चांद आज क्यूं शर्माता है
खुद में दाग पाकर, देख उसे बेदाग शायद वो घबराता है
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वो आधा चाँद , मुझसे आकर बोला ...
क्यूं अब तक अधूरी है , तू उसके बिना...
क्यूं वो तुझे आकर पूरा नहीं करता.....-
Adhura chand dikha kal aasmaan mein,
Soacha koi adhuri cheeze bhi itni khubsurat kese lag sakti hai.....ehsaas hua ki adhuri cheezien bhi khubsurat ho sakti hai, jaise ki voh adhura chand, adhura ishq, adhuri dosti...aur bht sari adhuri kahaniya~~~-
ना नाम और पता बताया, ना शक्ल दिखाई।
वो आई तो मगर, न जाने क्यूं अधूरी सी आई।-
ऐ चाँद तुझे बड़ा गुरुर है अपनी चांदनी पे,,
पर मेरे दोस्त आज तो तू भी अधूरा है...!-