Ayush Verma   (आयुsh)
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Joined 4 June 2019


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9 OCT 2020 AT 11:30

ऐब अपने में दिखे ही नही ,
नुक्ता सारे हमीं में मिलते रहे।

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25 SEP 2020 AT 22:04

मनचाहा न मिलना किसी ट्रेन का छूट जाना है,
पर दूसरी ट्रेन का इन्तिज़ार करना कब मना है।
मुसाफ़िर का थकना सफ़र का लंबा खिचना है,
पर दरख़्त की छांव में आराम करना कब मना है।
नाउम्मीदी कुछ पल के लिये हार जाना है,
पर दुबारा जीतने का प्रयास करना कब मना है।
बेरंग जिंदगी किसी अपने का दूर हो जाना है,
पर यही मुक़द्दर था मानकर रंग भरना कब मना है।
किसी का नफरत करना उसका अपना नजरिया है,
पर ख़ुद के नजरिये में सिर्फ प्रेम रखना कब मना है।

~आयुsh


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15 SEP 2020 AT 19:09

परिंदों से पर उधार मांग लायेंगे......,
हौसला अपना हजार बार आजमायेंगे।

उड़ न सके तो आसमाँ को जमीं पे ले आयेंगे,
पर तुम ये मत समझना हम हार मान जायेंगे।

हुनरमंदी की दौड़ में मेरा दौड़ना मुनासिब तो नही है,
पर बात ज़िद की है अब जीत के ही आयेंगे।

अहद-ए-हाल में इश्क़ मामलात अब जिस्म का है,
पर हम अब भी इश्क़ में रूह पे दांव लगायेंगे।

ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बनाने में हम भले फ़क़त हो जाएंगे,
पर आयुष लफ्ज तुम्हारे हमेशा गुनगुनाये जायेंगे।

~आयुsh






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7 SEP 2020 AT 21:24

बात "प्रेम" की है
हाँ वही प्रेम
जो जीवन का आधार है
इसकी ऐसी दुर्दशा
सहन कर पाना मुश्किल हो रहा है
ठीक है अब चलता हूँ मैं
सुनो प्रेम की सारी किताबें जला दो
या पन्ने फाड़ दो
"समाज" इसी ओर आ रहा है
अपनाने ? नही,,,
प्रेम को परिभाषित करने
या कहें
"जिस्मों की भूख"
का ठप्पा लगाने
इससे बेहतर है
"प्रेम का मिट जाना"

~आयुsh





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1 SEP 2020 AT 20:40

क़िस्मत में कुछ भी लिखा हो,पर जिन्दा उम्मीदों पे रहना चाहिए,,
लकीरें कितना भी कहें गिरोगे तुम हर बार, पर फिर भी तुम्हे उठना चाहिए।।

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25 AUG 2020 AT 20:16

ख़ता जो की जाये तो फिर ढंग से की जाये,
इश्क़ जो किया जाये तो फिर इश्क़ ही जिया जाये।

सूरत जो भाये मन को तो फिर वही मन में बस जाये,
नजर किसी तरफ़ उठे ही नही नजर सिर्फ तुमपे जाये।

नजदीकियां इस तरह बढ़ जाये की फिर दरमियाँ कोई न आये,
वाबस्तगी हो तो रूह से हो फिर जिस्म कभी आड़े न आये।

ग़र यादें ही ज़िन्दगी हो तो फिर कुछ और न याद रह जाये,
दीवाना या तो मर जाये या पूरी तौर से पागल हो जाये।

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20 AUG 2020 AT 0:50

कोई तुमसे इश्क़ कैसे न करता,,,,,
अदायें सारी बा-कमाल हैं तुम्हारी।
कैसे हो?तुम्हारा पूछना मुझे ठीक कर गया,
तो तुम्ही बताओ मैं तुमपे कैसे न मरता..।

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19 AUG 2020 AT 19:55

हर रोज़ एक नयी निराशा है,
हर रोज एक नया तमाशा है।
जीने का वक्त है ही नही ज़िन्दगी में,,
हर सुबह उठो हर शाम मर जाना है।।

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15 AUG 2020 AT 19:18

बन्दिशें जो हैं तोड़ दो.........अब खुद को भी आज़ाद कर लो,
नफ़रतों में कब तक जलेंगे हम अब वतन मिट्टी इश्क़ से नाता जोड़ लो।

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11 AUG 2020 AT 0:36

तुम्हारे जाने पे हम खुद को इस तरह सम्भाले रहे,
जहां जहां तुम्हारे कदमों के निशान थे मिटाते रहे।

खिड़कियां सारी बन्द कर दी थी अपने कमरे की,
अँधेरे में खुद को जलाकर उजाला करते रहे.....।

हफ़्तों तक आब-ए-चश्म में भीगती रही आँखें ,
हर रोज आब-ए-आईना में तुम्हारा चेहरा देखते रहे।

आहिस्ता-आहिस्ता तुम्हे हम भुलाने की कोशिश करते रहे,
लम्हा- दर -लम्हा तुम उतने ही और याद आते रहे।

आवोगी एक दिन लौटकर तुम फिर से मेरे पास,
बस इसी झूठी तस्सली के सहारे दिन गुजरते रहे।
~आयुsh








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