जो मिटने लगे यादें मेरी, जहन से तुम्हारे
तो उसे तुम मिट जाने देना
जो बिखरने लगे, मुझसे जुड़े जज़्बात तुम्हारे
तो उसे तुम बिखर जाने देना
जो चलो! कभी उन राहों में, जिनमें चले कभी हम, हमराही बन
तो अनदेखा कर उन राहों को, खुद को तुम गुज़र जाने देना
और जो दम तोड़ने लगे कभी, सांसें मोहब्बत के तुम्हारे
तो उसे तुम मर जानें देना-
तेरे इश्क में चाहूं मैं सावन हो जाऊं।
जो तू छु ले इक दफा मुझे,
तेरे स्पर्श से ही मैं पावन हो जाऊं
तेरे इश्क में चाहूं मैं सावन हो जाऊं।।
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इक सपना था इन आंखों में, जो लगता अब टूटता जा रहा है।
और सफर में मेरे इक हमसफ़र था, अब लगता साथ उसका छूटता जा रहा है।।
यादों के मेले सजाते थे, यादों में उसके
जो लगता अब धूंधला पड़ता जा रहा है।
और बड़ी मोहब्बत से तरासा था, तस्वीर उसकी आंखों में अपने
जो लगता अब फीका पड़ता जा रहा है ।।-
मिट गये लिखे जो कभी,चाहत में फसाने तेरे
मर गये, जो जीते थे इश्क कभी, मोहब्बत में दिवाने तेरे-
ishq kiya h...honthon ki muskan
Par y jo tumhare honthon pe aaye..unke nam se..na jane kyu mujhe achha nahi lagata
Ishq kiya h.. aankhon ka noor
Par ye jo tumhare aankhon pe sajta hai..dekh chehra uska ...na jane kyu mujhe achha nahi lagata
Ishq kiya h.....sukoon dil ka
Par ye jo tumhe milta..unke yaadon me dub na jane kyu.. mujhe achha nahi lagata
Ishq kiya h...ibadat
Par ye jo..Nam uska hardafa tumhare duaao me bas jata hai...na chahate hui ye bhi jb uska jikra tumhare baton m jo bar bar aata h ...n jane kyu mujhe achha nahi lagata-
जिसे बचपन से लिखती आ रही हूं,पन्नों पर
आज उसे खुद में पढ़ा है
और जो कभी जुगनू सा मस्तमौला हुआ करता था
आज वही हमें चांद बन मिला है
#chand-
जब कभी भी मैं अपना उदास चेहरा आईने में देखती हूं
अगले ही पल, होठों पे बन आते हो तुम मुस्कान मेरी
जब कभी मैं खो बैठती हूं खुद को कहीं
याद दिलाने शख्सियत मुझे,बन आते हो तुम पहचान मेरी
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