आज़ाद है हम इस खुले आसमान में
इसका हर दिन ज़शन मनाते हैं-
रुक सी गयी है तू क्यों
सफ़र ही तेरा है हमसफ़र
ज़रा आसमां की ओर देख
आज़ाद पंछी उड़ पड़े है
अपने सफ़र की ओर-
उस आसमा के नीचे एक छत है ,बादलों की जिसके नीचे मैं खुद को , आज़ाद पाया करती हूं
खुद को हवाओ में मिला ,अकसर कुछ बूंदों में थम जाया करती हूं , अकसर यह मौसम में ,
मैं यूं ही , खुद में लहराया करती हूं....
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ख्वाबों का शहर.... आजाद परिंदों सा....
खुद में ही मगर कैद लगता है-
आप मेरा शबर जानना चाहते हो,
तो सुनो.
मोहब्बत को गले लगा कर,
उसे ज़िन्दगी भर के लिए,
आज़ाद किया है हमने.
एक पंछी को,
प्यार के धागों की बेड़ियों से,
रिहा किया है हमने.
चाहते तो बेबस कर देते,
बेवफा कहकर उसे.
हाथो को उसके,
धड़कते अपने दिल पर रख देते.
वो जा ना सकती इतना मजबूर कर देते,
मगर हमने तो उसकी खुशी के लिए,
खुद को कुर्बान किया है.
एक पंछी को,
प्यार के धागों की बेड़ियों से,
रिहा किया है हमने.-
Dil To Chahta He Tumhe 15 August Pe Aazad Kar Du..!!
Par Kya Karu Tumhari Harkate Qaidiyo Waali He..!!
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उन्हें लगा था बिछड के उनसे,
हम बर्बाद हो जायेंगे,
कहा सोचा था उसने,
निकल के उस नाटक से,
हम आज़ाद हो जायेंगे....💝-
शत शत नमन करते हैं आपको 🙏🙏
ऐ भारत के वीर सपूत, शेर-ए-हिन्द हमें
आप पर नाज़ था, है और हमेशा रहेगा।
आज आपके इस पावन जन्मदिवस पर
कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏
जय हिन्द 🇮🇳🇮🇳-
अनदेखे धागों से...यूँ बाँध गया कोई
वो साथ भी नहीं... और हम आजाद भी नहीं-