आत्मसम्मान की चाह अगर है,
भावना, अपेक्षा अलग रख चल!
देख फिरते हैं हंस के वेश में बगुले कई,
क्या पता कब टकराए तुझसे कोई छल!-
आत्म सम्मान का होना उतना ही जरूरी है,
जितना शरीर मे आत्मा का होना.-
किसी भी इंसान के पास भले ही समस्त सांसारिक सुख सुविधाएं मौजूद हो,परंतु जब तक उसके पास उसका आत्मसम्मान ना हो वो आंतरिक रूप से प्रसन्न नहीं हो सकता। क्योंकि एक सुखी सफल जीवन बिना आत्मसम्मान के व्यर्थ है।
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छोटा सा ही सही पर वो ख्वाब़ था मेरा
झूठा सा ही सही पर वो प्यार था तेरा...
इस छोटे से सफ़र से एक सबक़ लिया है मैंने
तुझसे ही नहीं खुद से भी रिश्ता तोड़ लिया है मैंने...
है अगर घमंड तुझे अपने बेहिसाब रूतबे पर
तो हमें भी गुरूर है अपने आत्म सम्मान वाली शख्सिय़त पर....
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समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दें तो समझ लो उसके आत्मसम्मान को कही ना कही ठेस पहुंची है..!
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"देख लूंगा तुझे"
ये वो अचूक भारतीय डायलाग है
जो भरपूर मार खाने के बाद भी
आपके आत्मसम्मान को जिंदा रखने
में मदद करता है 🙊😂😂🤣-
❣️पहाड़न हु मै साहब,
सादगी और संस्कारी हु ,
अपनेपन और रिश्तों के लिए,
भले ही झुक जाऊं मैं,
लेकिन किसी की अकड़ के आगे,
अपने आत्मसमान को गिरवी रखना,
मुझे स्वीकार्य नही,❣️
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चल जाएगा एक दफा गर चली भी जाए जान
पर ना चलेगा जब मानव में रहे ना आत्मसम्मान-
क्यों हर बार हमसे ही पूछा जाता है.. चाहे कितना भी सम्भल कर रहो धब्बा हमारे माथे पर ही क्यों मढा़ जाता है.. थक जाते हैं हम सफाईयाँ दे देकर पर है अफ़सोस की कौन समझ पाता है.. पहले तो लालछन से आंसुओं की धार दी जाती है गलतफहमी थी पगली कह कर हंस कर बात टाल दि जाती है.. आपकी गलतफहमी में कोई उम्र भर की पूंजी खोता है .. किसी को परवाह क्या उसके लिए तो ये आमतौर पर होता है..
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