कुछ तो हुआ था उसके साथ, मरा नहीं मारा गया था उसे, छोडा गया था लबों से शब्दों का तीर , लगा था जो दिल पे जाकर कर गया जो उसे छली -छली , था दिल उसका मोम का टुटा नही जो पिघला धीमे -धीमे , सितारा था आसमा का थी चादं को पाने की ख्वाहिशें, लब्जो की रस्सी फेक कर खिचा गया था उसे, हुआ जुदा अपनो ने तो सासो ने भी छोडा साथ दो गज की रस्सी के लिए
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आज फिर से एक हादसा हुआ है
जिंदगी को छोड़ किसी ने मौत को चुना है
वजह ना उसने किसी को बताई पर
कुछ तो वजह होगी
सबके सामने मुस्कुराकर वो
अकेले में बहुत रोई होगी
वह भी किसी समंदर के बीच
डूबती नाव होगी
ना मदद मिली ना किनारा
बस ऐसे ही जान छोड़ दी
उम्र अभी कच्ची थी
कच्चे थे उसके सपने
ऐसा भी ना जाने क्या हुआ
वो छोड़ चली सब अपने
अभी जमीं से कदम उठाया था
ऊंची उड़ान भरने
एसी भी क्या बीती जो
वो काट गई पर अपने
सपने, अपने, दोस्त और जिंदगी
छोड़ कर चली रब से मिलने
आखिर उसको खड़ा रहना था
ईश्वर के कटघरे में
बहुत सोचा होगा उसने भी और
वो भी घबराई होगी
पर रूठी जिंदगी को देख उसने
हस्ती मौत अपनाई होगी
एक गुजारिश मेरी सुनना
भले ही बचे ना कोई रास्ता
रूठी जिंदगी को मना ले
तुझे रब का है वास्ता...।
-janviii
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आत्महत्या,
जहाँ इन्सान अकेला नहीं मरता
उसका पूरा परिवार जीते जी मर जाता है
और आंखों से आँसू भले ना आते हो उनके
पर अन्दर आँसुओं का समुन्दर भर जाता है
जहाँ इन्सान एक सपना पूरा ना होने पर
उस फन्दे पर आसानी से झूल जाता है
और जो देख रखे है और भी कहीं सपने
उनका गला दबा जाता है
जहाँ इन्सान भाई बहन और भी कई सारे रिश्तों का कत्ल कर जाता है
मतलबी इतना कोई कैसे हो सकता है
सोच के गुस्सा मुझे बहुत आता है
माँ पापा जिसने बड़ा किया
उनका सब कुछ यहाँ खत्म हो जाता है
सच में उसका पूरा परिवार
जीते जी मर जाता है-
आत्महत्या करना भी कहाँ आसान है जनाब,,
थोड़े से सुकून के लिए, खुद को मारना पड़ता है।।-
ఈత ముల్లు గుచ్చుకున్న దాని కన్నా నొప్పిగా ఉందే నువ్వు మాట్లాడకపోతే...
మిట్ట మధ్యాన్నం కూడా చిమ్మ చీకటిగా వుందే నీ చూపు నన్ను తకాకుంటే...
శ్వాస కటినంగా మారిందే
నీ అడుగులు కనుమరుగైతనంటే ...
ఆశా చచ్చిపోయింది నువ్వు కాదు అన్నాక
ప్రాణం నన్ను కాదు అని వెళ్లిపోయింది...
...క్రిష్...-
हत्या अगर करनी है तो
उन विचारों की करो
जो आपको
आत्महत्या करने पर मजबूर करते हैं-
आत्महत्या करने से पहले ये तो सोचें
कि ये सुन कर कितने लोगो को धक्का लगेगा-