जब भी मन होता है पुरानी
यादों से गुफ्तगू करने का
मैं अक्सर अपनी डायरी
के पन्ने पलट लेता हूं-
Aaj ham phir se tumhare galiyon me aaye ....
Ki ,Dil ko na sahi pr in aankhon ko to aaram mil jae...-
खो गए हैं रास्ते,मंजिल की तलाश मे।
हम मुसाफिर है बने,ख्वाबो की प्यास मे।
बात इस कदर बिगड़ी, बात-बात मे।
याद जानेवालो की मिली सौगात मे।
अब नही आराम है, अब नही करार है।
जज्बातो की है गठरीया हमारे साथ मे।
हम मुसाफिर है बने, ख्वाबो की प्यास मे।-
Tere Dil Ki Dharkan Meain Main,
Kuch Es Kadar Bas Jaawoun....
Tere Dil Ko Bhi Sukun Mile Or,
Mere Dil Ko Bhi Aaram Mil Jaaye...-
बात तो नहीं होती है, पर याद बहुत आती है,
उनकी एक एक बात, मेरे दिल को तड़पाती है।
क्या बात हो, अगर उनसे एक बार बात हो जाये,
दिल को सुकून मिले, मेरी रूह को आराम मिल जाये।-
चखाया है ज़िन्दगी ने दर्द हमको,
अब तो किसी गैर के चेहरे पर भी एक मुस्कान देख ले,
तो इस दर्द-ए-दिल को कुछ आराम सा मिलने लगता है।-
वो भी क्या दिन थे जब तू मेरे पास होता था,
मेरे तकिये से ज्यादा तू मुझे ख़ास होता था।
गर लगाता था गले मैं तुझको किसी भी गम में,
मेरे दिल को सुकून मिलता था मेरी रूह को आराम मिलता था।-
जो आराम ना दे रात दिन , तेरी वफ़ाएं वो कर्ज हैं
मेरे इश्क़ की रिवायत में , इबादतें जो दर्ज हैं-
न जाने किसने पढ़ी मेरे हक मे दुआ.?
आज तबियत मे जरा आराम सा है।-