कौन कहता है प्रेम निभाना मुश्किल हैं।
जालिम तो इजहार-ए-प्रेम का आलम हैं।-
माना नैतिकता ही धर्म हैं परंतु परिस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
Admittedly, morality is religion, but the situation cannot be ignored.-
आकाश का ताना सुन लिये, ज़मीं की गाली भी सुन लेगे।
रिश्तेदारों के राग सुन लिये, महबूब की क़व्वाली भी सुन लेगे।
बदले की ख्वाहिश क्या ही रखे, इन झूठे-बदलते लोगों से।
इनकी शराफत की दास्तान सुन लिये, झूठी कहानी भी सुन लेंगे ।-
वहाँ कोई नहीं था हम दोनों के सिवाय
उसके बाद भी उन्होंने इशारे में पूछा क्यों आये हो।-
देखो किसी की हिफाज़त भी उसकी इजाज़त ले कर करनी चाहिये।
क्योंकि एक पल में अजनबी ठहरा दिये जाने का दर्द असहनीय होता हैं।-
नामुमकिन सा होता है उस पल को भुलाना
जिसे कभी यादगार बनाने की कोशिश हुई होती हैं।-
Today life is dominating rigorously but I am sure......6 will be 9 a day
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मेरे प्यार के कबूलनामे के लिए, मैंने दिल उन्हें रिश्वत में दिया था।
अब फितरत क्या बताए सनम की ना दिल वापस आया ना कबूलनामा।-
कुछ भी बनना लेकिन किसी की
जान ना बनना वर्ना हिफाज़त के
नाम पर कैद कर लिये जाओगे।
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