Kaun kehta hai ki ishq me Zeher nahi hota.
Agar nahi hota ,
toh itne aashiq
Iss Zeher se roz-roz nahi marte.-
वो थे वाक़िफ़ ...इतना एहसान किया
हाथों से पिलाया ... ज़हर कुछ मीठा दिया
🍷
( हाली )-
ये इश्क़ है या ख़ता जिसे हम किये जा रहे हैं
ये जाम है या ज़हर जिसे हम पिये जा रहे हैं।।
बिना काग़ज़ कलम के चुपचाप सफ़ में खड़े
ये कौन सा इम्तेहान है जो सब दिए जा रहे हैं।।
वो फूले नहीं समा रहे ख़ैराती लिबाज़ों पर
एक हम हैं जो कतरन कतरन सिए जा रहे हैं।।
पानी पानी हुए थे शर्म से आंखें मिलाने पर
आज ज़िस्म से खेलकर भी वो हँसे जा रहे हैं।।
लफ्ज़ थे कि तेरे बग़ैर जीना मुमकिन ही नहीं
हम झूठे तो हैं देख आज भी जिये जा रहे हैं।।
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Zeher mein bhi koi baat hogi
Jo shayad pyar mein nahi
Tabhi toh ye jism tadapta hai
Zindagi ko Zindagi se aazad kar
Maut bhi - maut ke liye kitna tarasta hai-
Ye ishq hai Kabhi marega ni..
Zalim Kitna bhi deke zaher Azmaein..
Har kisi ne dil, hi toda hai..
Ham kitni bar ishq Ka hunar Azmaein..💔-
तुम चूम के लबों को मेरे ज़हर कर जाओ,
लगा के इश्क़ का दाग़, चाहे समर कर जाओ,
सब कर जाओ मगर एक ख़्वाईश मेरी भी सुनो,
अपने गले से लगा के मुझको अमर कर जाओ।
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मेरी वफ़ाओं का इतना तो सिला दे मुझको।
बस अपने हाथ से ये ज़हर पिला दे मुझको।।-
तुम जो आए हो मेरे जख्मों पर मलहम लगाने....
नमक लाए हो क्या?????
सुना है....करते हो दुआ मेरे लम्बी उम्र की...
सुनो तुम जहर लाए हो क्या????-