_वह कमबख़्त शहर_
उस ज़ालिम के आगोश में
वह चीख़ उठी !
मानाे उसके बदन से कुछ
टूट गिरा हो !
थाने में फिर एक हंसी
बुलंद हुई !
उसकी नुमाइश करते हुए
सड़कों पर भीड़ उमड़ी हुई है !
अखबारों में वह छायी हुई है ,
जिनमें उसके किस्से छप रहे हैं !
तालिमदार एक - एक पैसे में ,
खब़र बेच रहें हैं !
उसका बचा-खुचा जिस्म ,
बड़ी बेदर्दी से नोच रहे हैं !
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मै नारी हूं, महिमा का प्रतीक हूं,
दुर्गा मानकर पूजते है मुझे फिर क्यों हुआ मेरे साथ ऐसा?
16dec 2012को में निकली थी काम से, मिल गए कुछ हैवान, देंवान थी उनकी नियत, दिखने में हम जैसा था,
एक मेरी भाई की उम्र का,एक मेरे बाबा के उम्र का,
उनकी नजर मेरी जिस्म पर थी, किस्म किस्म की बाते करता, कभी बाहों में खींचता तो कभी मेरे अंगो को सहेलाता ! बहेलता! फुसलाता!
और न जाने क्या क्या किए जाता! बर्बरता का पुजारी था! बाबा तेरे परी को उस हैवान ने गालो पर थप्पड़ खींचा था , खींच कर बालों को घसीटा था ज़मीन पर, फिर एक हाथ रखा मेरे मुंह पर और दूसरा मेरे जिस्म पर, खींच कर दुप्पटा मेरा, टूट पड़ा मेरे जिस्म पर, मैं चीखती चिल्लाती रही! मां को भी आवाज़ लगाई!|
बाबा एहेसास नहीं हुआ क्या आपको आपकी बेटी पर संकट अाई थी!
हुआ है क्या नारी का सम्मान किसी भी युग में?
एक हार गई जुएं में और एक को गुजरना पड़ा अग्निपरीक्षा से !
सीता भी रो पड़ीं और कहा उन्होंने धरती मां से,
अपनी शरण में लेलो मां,
मेरा ना हुआ सम्मान यहां!
मर्यादा परुषोत्तम श्री राम भी नहीं कर सके इंसाफ मेरा!
ठंड पड़ गई शव मेरी,
फिर भी उनका बर्बरता जारी था,
मेरी शव को भी उन दरिंदो ने
हवस कि भाती नोच नोच कर खाया था !
मेरा इंसाफ करना मां,
मै जा रही हूं दूर बहुत!
नहीं हुआ है मेरा सम्मान यहां
नहीं हुआ है मेरा सम्मान यहां|-
¤ [ #Voice_of_change]..
▪ दरिंदगी ने इन हैवनो की कुछ ऐसा सितम है ढाया ।।
▪औरतों को ले डूबा ही, बचियो तक भी ये सैलाब हैं आया।।
▪औरतों के साथ तो गलत किया ही, बचियो तक को भी नही हैं बक्शा ।। और तोह और ।।
▪हवस की इस आण में इन लोगो ने कुछ ऐसा है कर डाला ।। छोटी-छोटी बचियो की ज़िंदगी बर्बाद की ओर उन्हे जिन्दा ही जला डाला ।।
▪यहा तक ही नहीं ।। प्यार में मना करने पर लड़की के।। उन हैवनो ने बदला इस कदर लिया।। एक लड़की के साथ 10-10 दरिंदो ने मिलकर बलात्कार किया।।
▪इस समाज ने कहा की गलती तो तुम्हारी ही थी।।छोटे कपड़े पहनकर जो घूमती थी।। बलात्कार तोह होना ही था ।।
▪पर उन नन्ही बचियो कि क्या गलती ।। ये दरिन्दे उन्हे भी कहा ये छोड़ ते हैं ।।
▪बात छोटे कपड़ो की नहीं होती छोटी सोच की होती हैं।।
▪आओ सब मिलकर इन दरिंदो की हैवानीयत खत्म करके दिखते हैं ।।
▪सोच बदलो तभी तोह ये समाज बदलेगा।।
▪यही मैं सबको बताना चाहती हूँ ।। ये बात सबको समझना चाहती हूँ ।।
▪बस मेरा इतना सा ये काम करदो ना।।
▪लड़कियों को आगे तक पढ़ने दो ना।। उनको आज़ादी से बाहर निकलने दो ना। उनको भी अपनी मर्ज़ी से जीने दो ना।। आसमा की ऊंचाईयों को छूने दो ना।। उनको आज़ादी से रहने दो ना।। उनको अपने हक़ की बात कहने दो ना।। उनको भी इज्ज़त से रहने दो ना।। उनको भी आज़ादी से रहने दो ना।।
(सोच बदलो तभी देश बदलेगा।।)
-Simran kaur ❤🥀
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थमते नहीं हैं दरिंदे, किसी के रूह-ओ-जिस्म पर वार करने से,
तबाह हो जाती है ज़िंदगी किसी मासूम की,दरिंदगी की हद पार करने से।
लुटता दिखे जो आबरू किसी बहन, बेटी की,इंसानियत के नाते,
मत रोक खुद को,उन नामर्दों के टुकड़े हज़ार करने से।
अब मत बैठ शांत तू, बन नारी से काली, उठा तलवार,
मत रोक खुद को,उन पापियों का संहार करने से।
रोकना है बलात्कार तो हिला कुर्सी तोड़ मिल कर संविधान का ताला,
वरना नहीं मिलेगा इंसाफ़ केवल कैंडल मार्च करने से।-
यू तो तरक्की की राह में बहुत आगे बढ़ रहा है मेरा भारत पर वो तरक्की किस काम की जो एक औरत को सुरक्षा न दे सके
जो उसके जिस्म पर लग रहे बुरी नज़रो को नीचे न झुकवा सके।
सूरज ढलने के बाद अगर लड़किया घर के बाहर है तो आखिर क्यों उनकी इज़्ज़त पे खतरा मंडराता है, सुनी-सुनसान सड़को पर जाने से एक लड़की का मन घबराता है......
और आखिर क्यों कोई जंगली कुत्ता उसके बदन को नोच खा जाता।
गुनहगारो को तो सज़ा साल, कई साल में मिलती है बेगुनाह तो बेचारी बलात्कार के वक्त ही मर जाती है
ना जाने हर रोज़ कितनी ही लड़किया
निर्भया और प्रियंका बन जाती है
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फायदे दोनों के अपने अपने है
एक मुंह की कड़वाहट दूर करती है
दूसरी सही रिश्तों की अहमियत बताती है-
अंजान थीं वो इस बेदर्द दुनिया से,
अभी तो जन्मी थी मां की कोख से,
एहसास समझने की क्षमता भी नहीं थी जिसमें,
हैवानियत की शिकार बनी,
एक प्यारी सी गुड़िया आज हुई फिर बर्बाद,
पढ़ी थी लाश जैसे,
बेहाल इस आज़ाद देश में,
सवाल थे बहुत उसके मासूम आंखों में,
कैसे करे हम लड़कियां भरोसा एक बाप, भाई या हमसफ़र, साथी पे,
जब हैवानियत भरी है आस पास के रिश्तों में,
कहते है लोग बेटे अविषप होते है,
पर देखो जाता यह तो बेटे ही करते पाप है।।
रेप मुक्त देश चाहिए हमें तो मेरे साथ ये पिटीशन साइन करे, देश को सुरक्षित बनाने में सहियोग करे।।
शुक्रिया,
- श्रेया-
Let us raise the wall against rape,
Molestation and acid attacks,
We had enough,
Life is too short,
Make every effort count..-
कहाँ सोचा था उन्होंने
कल उसकी आवाज़ तक न सुन पाएंगे।
आखिरी बार उसे अलविदा कहने
वो उसकी लाश के पास जाएंगे।
कितने सपने संजोये थे उसके लिए,
कहां सोच था उन्होंने आज वही कांच की तरह आंखों में चुभ जाएंगे।
जिसकी आवाज़ से पूरा घर गूंज करता था,
आज वही जगह सन्नाटों से वीरान लगने लगेगा।
कहाँ सोचा था उन्होंने
कल उसका चेहरा तक भी वो न देख पाएंगे।
अपना दर्द एक दूसरे को बताने
वो नज़रे तक ना मिला पाएंगे।
लोग कहते है निकली थी वो घर से अकेले,
कपड़े भी उसने छोटे पहने थे।
अब बताओ ऐ समाझ के अंधे लोगों,
क्या अब भी लड़की का ही दोष ठहराओगे?
कब तक तुम उन्न दरिंदो की जान बचाओगे,
कभी तो उनको सज़ा दिलाने तुम भी सामने आओगे।
कभी तो हर लड़की को अपनी बेटी समझ कर,
अपने बेटों को उनकी इज्जत करना सिखाओगे।
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