हम खड़े रहे ठहरें रहें एक ही मोड़ पर
लोग आते मिलते फिर चले जाते छोड़ कर!-
कितनी आसानी से बोल देते हैं
ना हम किसी को आई लव यू,,
चाहे हम सच में उसका अर्थ
समझते भी नहीं है ।।
हम तो बोल देतेहैं लेकिन
हम ये नहीं समझ पाते कि
सामने वाले शख्स के दिमाग
में क्या क्या चलने लगेगा ।।
आई लव यू का मतलब सिर्फ एक
इंसान को प्यार करना नहीं होता
बल्कि उसे मंजूर करना चाहे वो
जैसा भी हो, ज्यादा बात करने वाला
या कम बात करने वाला ।।
उसका रंग जैसा भी हो उसका
चेहरा जैसा भी हो उसकी पर्सनेलिटी
उसकी आदतें उससे जुड़ी हर छोटी
से छोटी चीज़,उस सबको एक्सेप्ट
करना और मान लेना कि अब,
यही है जो है अब इसके सिवा कोई नहीं ।।
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मै आज जितना प्यार करता हूँ
कल भी करूँगा और उससे
ज्यादा ही करूँगा चाहे कैसी भी
परिस्थिति क्यों ना आ जाए,मै
साथ नहीं छोडूंगा कभी
बुरे से बुरे वक्त में हाथ नहीं छोडूंगा
तुम टूट भी जाओ तब भी ये रिश्ता
ये खुबसूरत बंधन होगा ये नहीं टूटेगा
कमज़ोरियां जानने के बावजूद भी
कभी उसका गलत फायदा नहीं उठाँउगा
चाहे जो हो
कभी तुम्हे जज नहीं करूँगा चाहे
तुम जैसे भी हो,तुम्हे वैसे ही एक्सेप्ट
करूँगा,बिना तुम्हें बदले
भले ही लड़ाईयां कितनी ही कयूं ना हों
पर तुम देखना,मैं सिर्फ हमारे लिए लडूंगा
तुमसे प्यार करूँगा,सारी जिंदगी तुमसे
प्यार करूँगा ।। ये मतलब होता है लव यू का-
1.
हम में बहुत कुछ बचकाना था,
तेरा मेरी गलियों में रोज का आना जाना था,
स्कूल,कॉलेज में तो मानो मोहब्बत की फीस अदा की है
मेरे आने की उस वक़्त उस जगह तूने बेसब्री से राह तकी है...
कहानी नहीं है, हकीक़त है मेरी जिंदगी...
कैसे बयां करूं!!! लफ्ज़ अभी बने ही नहीं है।
हां, नहीं जानती वो दिन तारीख,कब हुई मुहब्बत तुमसे,
मैं यादों को समेट रही थी कहीं खोई हुई तुझमें...-
Tum Kaun Ho ?
Tum vo ho jaisa tumhe dunia dekhna chahti hai
Ya
Tum vo jo jaisa tum dunia ko dikhana chahte ho?
Aise he kuch taalash Maine krni chahi
Jis safar ko tae krna asan nahi
magar ek shurvat krna kuch kam behtareen nahi..
-
Sometimes your heart needs
more time to accept the things
what your mind already knows...-
गलियां बीते लम्हों की - 2
डामर वाली सड़क के किनारे,
अगर एक पगडंडी पड़ी मिल गई तो!
तो क्या करुंगा...
शायद मुँह छिपा लूंगा,
Instagram - FB | anurag.writes
Full piece in Caption
#ReadCaption-
वह पल था जो तेरे सदके में झुक गया,
न जाने हवाओं कैसा मोड़ ली,
यादों की बारिश मुशासल् होता रहा||
तुझे देख आँखें नम होने लगी,
न जाने मौसम भी क्यों मेरे साथ रो पड़ा,
बुंद तो थी बर्शत की, लेकिन
हर बुंद मेरे जिस्म पर मरहम लगा गया||
दिल को जो पथर का बनाके रखी थी,
वह पथर भी मोम के जैसा पीघालने लगा||
मानो बिन बोलाये बर्शत हो गयी,
मेरे बंजर इस दिल में न जाने कैसे नमी आ गयी||
- to be continued
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काॅलेज का पहला दिन
थोड़ी झिझक थी
थोड़ी खुशी काॅलेज
देखने वाली थी
स्कूल छोड़े
पूरे 19साल बीत चुके थे
अजीब था सब
मैं काफी बड़ी थी..
लड़कियों के चेहरे के भाव....
मेरे माथे का सिन्दूर छोटी सी बिंदी
सब बंया कर रहे थे..
अरे देखो ये शादीशुदा है...
कुछ ने मुझे मैम समझा
गुडमोर्निंग मैम...
मैं मुस्कुराई कहा अरे ...
मैं स्टूडेंट हूँ..
जब सीढ़ियाँ चढ़कर
काॅलेज के रूम
पहुँची तब थोड़ी
तसल्ली हुई
मुझसे बड़ी और भी लेडीज़ थीं
जो पढ़ने पहुँची थी..
शर्म से मुझे बोलने तक का
मन नहीं किया
एक कोने के डेक्स पर
अपनी बुक्स पढ़ती रही....
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