जी रहे इस आस में के कोई हाथ थाम लेगा, मेरी सूनी वसीयत को कोई तो अपना नाम देगा, किस्मत में मेरी भी लिखा होगा खुशियों का पुलिंदा मुझे अपनाकर भी कोई अपनेपन का पैग़ाम देगा!
सारे गमों को खुद ही पी लेगें पूछोगे कभी जो खैरियत तुम जवाब हस कर ही देंगें कमियों को अपने अब हम साझा ना करेंगें किसी से वफ़ा के मारे हैं, लोगों से दूर रहते माना जिंदगी मुश्किल है खैर, जी लेंगें..