मेरे महबूब की फूल
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कहनी थी बात बहुत आपसे लेकिन बात कह नहीं पाई।
क्योंकि बात सुनने के लिए आप तो मौजूद नहीं थे।
वक्त और वक्त के सिलसिले ने हमें जुदा कर दिया,
कुछ ऐसे कि अब आपसे बात नहीं होती।
लेकिन क्या करें बात करने की तमन्ना है तो बहुत,
दिल में जो इतनी बात समेटके रखी हूँ आपको बोलने के लिए।
पर कैसे कहूँ आप वहाँ जो मौजूद नहीं हो।
जिंदगी थोड़ी मस्रूफ हो गई है।
लेकिन फुरसत निकाल के कभी-कभी उस जगह जाया करती हूँ,
बस इस आश में कहीं बात हो जाए आपसे और बात की साथ ही आपसे मुलाकात भी हो जाए।
कहनी है बहुत बातें आपसे लेकिन मेरी किस्मत है यह,
वहाँ आप मौजूद नहीं होते।-
आजका दिन भी कुछ यूँही गुज़र गयी इस ढ़लती हुयी सूरज के साथ
अब एक नयी शाम की शुरुवात होगी
और वक़्त गुजरने के साथ साथ यह शाम रात में बदल जायेगी
फ़िर वह रात भी गुज़र जायेगी वक़्त के साथ.
फिर एक नयी सुबह की किरण आएगी
और यह सिलसिला यूँही चलती रहेगी
लेकिन आपकी हर एक दिन हर एक रात सबसे मुख्तलिफ जरूर होगी ||
कभी कभी आपने इस ज़िन्दगी से आपको ताजाशुष होने लगेगी,
फिर मुस्कुराकर उसे अपना लेने की आदत आपको हो जाएगी|||-
....অন্বেষা....
এ পাগল পারা মন তাহার হেলিয়া দুলিয়া চলে
সাঁঝ বেলাতে নদীর পাড়ে ঘাস মাড়ায়া চলে
ফুলের গোছা হাতে লইয়া লাফিয়া ঝাপিয়া চলে
শাড়ীর আঁচল মাটির ওপর হাত বুলায়া চলে
আলতা পায়ে নুপুর চুড়ি সুরের তালে বাঁজে
তার তালে তেই সন্ধ্যে যেন মৃদু মৃদু দুলে...
সংক্ষিপ্ত-
"निगाहों से निगाहों की मुलाकात कुछ यूं ही हो गई..
दिल की बात बयां करने से पहले यह निगाहें कह गई.. "
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" हम शायर हैं इस खुशनुमा दिल के साथ.....
हमारी हंसी हमें अज़ीज़ है हमारी आदत के साथ... "-
आशियाना बसाने चली थी तेरे गली में..
ग़म-इ- हायत मिली मुझे उस दरपे.
मेरे गली छोड़के आयी थी तेरे गली और तेरे दर पे..
ग़म-इ-हयात ही मिली सिर्फ तेरे दरपे....
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There is no better reward in a persons life
Then to see...
A building turn from wall of brick
To a nest of warm stories
And warm hearts
But beautiful thing should come with beautiful endings.....-
One thing I have learn
Sometimes the truth is a burden
And you have to carry alone.-
" অন্তরের অন্তরঙ্গে মাঝে মাঝে কিছু আন্তরিক আকাঙ্ক্ষা এমনভাবে অবস্থান করে, বাস্তব এবং কাল্পনিক এর তফাতটা আমরা বুঝতে চাই না| আর কাল্পনিক আবেগের সাথে বয়ে চলে যায়||"
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