अपनो से सपनों तक का सफर
यह सफर सुहाना है
किसी को अपने से दूर करना
तो किसी को
अपने करीब बुलाना है
तोड़ कर सारी बंदिशे
अब बस चलते जाना है
छोड़ कर दामन रिस्तो का
अब सपनो का महल सजाना है
यह सफर सुहाना है
अब बस चलते जाना है
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हमें इश्क़ के मौसम बड़े सुहाने लगते हैं मगर,
पिछली बार के गुल अब के नश्तर बने बैठे हैं!-
बसंत ऋतु है आई, ठंडकता में हुई नरमाई
मौसम की सुखद बेला से है मन मचलाई
खेतों में हरियाली है लहलहाई, बसंत बेला आई
सरसों के खेत में जैसे स्वर्ण सी लगे जगमगाई
लद गए हैं आम के पेड़ मौर से, धूप कड़कड़ाई
कोयल, पपिहा बसंत विहार गा प्रकृति को सुनाई
हवाएं सर सर कर सुखद अनुभूति दे रहे है
प्रकृति जैसे खुशी से झूम झूम कर लहराई
बसंत की बेला है आई, सुहावन मौसम है लाई
नव पल्लव की बेला आई, मन को ये अति भाई।
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महीना सावन का है,मगर सुहाना कहां है,
जिंदगी कैसे जीऊं तेरे बगैर बहाना कहां है....!!-
Is shayrana andaaj ki shayad ek wajah tum bhi ho...
Kl tk to na the pr haan ab dost tum bhi ho...-
सुबह का क्या खूब हसीन नज़ारा है,
बरसात में हुआ ये मेरा दिल आवारा है,
भीगे हम तुम ईस सुहाने मौसम में,
सिर्फ तेरा ही साथ इस दिल को प्यारा है...-
अब बंद भी करो ये मुझे इस कदर सताना,
क्या मिलता नहीं दर्द देने को तुम्हें और कोई ठिकाना,
जब - जब महसूस करो की अब दिन हैं सुहाना,
पता नहीं कैसे ये दर्द बना ही लेता हैं मुझे निशाना।-
सुबह का ये मौसम सुहाना
उस पर ये मेरा दिल आशिक़ाना,
आओ तो ज़रा देखलो
आपके इश्क में हुआ मैं कैसा दीवाना...-
..yeh dosti ka mausam kitna suhana hai,
..meri tarah...
..unka andaaz bhi shayraana hai..-
रास्ते का पत्थर दिखने पर
सलामतीके निशान दिख जाते है
ताकि सफर अच्छा हो!
अगर पत्थर में अड़े रहे..
तो वापसी का अंदाज बिगड़ने लगते है।
आज़माना छोड़ दो..
ज़िन्दगी का सफ़र काफ़ी सुहाना होगा।
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