हुकूमत की अंधी लाठी को देख,
पिटते बच्चों की कद-काठी तो देख।
बहाने हुकुम के बासी तो देख,
सवालों पे आती खाँसी को देख।
तूफान से पहले की शांति को देख,
धूल से सनी ये क्रांति तो देख।
सड़क पर उतरी आँधी भी देख,
जलती मशाल गाँधी की देख।
गूँजते इंक़लाबी नारे को देख,
देशभक्ति के तराने भी देख।
भगत सिंह की लिखी इबारत तो देख,
सुभाष के विचारों की अमानत को देख।
इंसाफ़-बराबरी के वादे तो देख,
अनेकता में एकता इरादे को देख।
आज़ाद देश की विरासत तो देख,
उम्मीदों से भरे भारत को देख।-
घर से निकले हैं पढ़ने को
जीवन के पथ पर बढ़ने को
कदम है अगला आज बढ़ाया
एक रोज शिखर पर चढ़ने को-
As the paper ball misses ma'am by an inch,
she glares back in anger.
Turns to the black board only to smile.
Her aim used to be much better.
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✍️अकेला राही🚶♂️
अकेला राही चल रहा है।
वक़्त की राह पर
आसमा के नीचे
कोई बंदिशें ना हों डर रहा है
अकेला राही चल रहा है।
रेत पे सहज गांव को
धूप में लाने छांव को
सांय सांय सी पवन चले
उधर ही बेखौफ बढ़ रहा है,
अकेला राही चल रहा है।
वक़्त की मांग पर
बुलंदियों को छूने को
इस धरा पे विधमान
जग के ठोस पहाड़ से सूर्य सा उग रहा है,
अकेला राही चल रहा है।
बेफिक्र है लकीरों से
किस्मत भी उसे मोड़ना है
कर नहीं सकता कुछ
ये भ्रम भी उसको तोड़ना है
साथ देगा वो खुदा जो छांव देने झुक रहा है,
अकेला राही चल रहा है।
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रोज मंदिर में सुबह घंटी बजाते हैं, सोये ख़ुद हैं और भगवान को जगाते हैं ।
दान पेटी धर्म स्थलों में नहीं अस्पताल और स्कूल में होनी चाहिए ताकि जरूरतमंदो को इलाज और पढ़ाई में मदद हो सके ।-
Everyday at night, student feel
very bad for wasting another days
Regret and then aim to
next day productive and this cycle continue...
Dude what we do now..
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