लंबी जुदाई
महीने भर के लिए बिछड़े थे,
पर साल गुज़रने को आई।
केहते थे एक पल जी नहीं सकते,
अब तो बस साथ है तन्हाई ।
कभी रोज़ मिलने की ज़िद करते थे,
अब मीलों की दूरी भी नहीं खटकते।
कभी न बिछड़ेंगे जिंदगी भर के लिए,
वो किए वादे अब तो याद भी नहीं आते।
ख़यालों में आपके हर इक दिन हमारा साल बराबर था,
आपके लिए वो आखरी मुलाकात बस कल ही तो था।
कभी हर गम हर खुशी बांटा करते थे,
अब वो प्यार भरी बातें कहाँ हुआ करती हैं ।
साल भर मैं शायद ही कोई पल बीता था
जब आपको देखने को आंखें न तरसी हो,
अब तो कोई नज़ारा भी नहीं भाता,
पता नहीं अब कब आपका दीदार हो ।
न जाने हमसे क्या हो गयी खता,
जो किस्मत भी हमसे रूठ सी गयी,
जिसको सुबह शाम दिल में बसाते थे,
उनसे ही मिली बस लंबी जुदाई ।-
Bahuut kuch khoyaa he mene ab is duniyaa me.....
Mai sirf ek Anjaan hu aur kuch nhi.-
मरती मोहब्बत की ख़्वाहिश समझ
एक आख़िरी रस्म निभा देना
मैं नही रोऊंगा विदाई में तेरी
और तुम ये देख मुस्कुरा देना-
गर्दिश-ए-अय्याम कुछ इस कदर देखा है,
अपनो को भी गैर होते हुए देखा हैं।।
शानासायी खूब थी किसी जमाने मे उनकी भी,
ईमरोज़ तो खुद को भी खोते हुए देखा है।।
मयस्सर थे वो हर वक़्त जिन लोगो की खातिर,
उनको भी फ़रामोश होते हुए देखा है।।
इ'ताब-ए-जमाने को खिताब क्या नवाज़ा,
अपनी मोहब्बत को भी क़ुर्बाँ होते हुए देखा है।।
हाँ वो मंज़र ना क़ाबिल-ए-बर्दास्त था,
मगर तमन्ना-ए-खाम को भी हँसते हुए देखा है।।-
'आप' से 'तुम' हुए और ज़ल्द ही 'हम' हो गए
'हम' बनके गुजारे चंद लम्हे उम्र भर का 'गम' हो गए-
विदा के वक्त - १
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विदा के वक्त
मैंने नहीं लिखा कोई गीत
न ही सुनाई कोई कविता
न ही कही कोई बात
मैं तुम्हारी आँखों में
अगली बार के लिए
थोड़ी बेचैनी पढ़ना चाहता था.-
रूदाली गा ली मैंने बिछड़न वाली रात
किसी को जीते जी मार देना कोई आसान बात नहीं।-