जो भी पाया, अधूरा ही पाया
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भर लेता है पेट पानी से,
भूख से व्याकुल भिखारी,
पर भीख में मिले थोड़े चावल खाकर,
उसकी भूख बढ़ जाती है।
कमी जिलाती है,
अधूरापन पूरेपन की प्यास बढ़ाता है।
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एक मकड़ी
कैसे मान ले दीपावली को शुभ?
कि जब सुदूर छिपे कोने में
बना उसका घर
टूट जाता है
सफाई लिपाई पुताई से
एक सुन्दर बड़े घर के पीछे
है कितने टूटे छोटे घर!-
तेरे साथ बिताया हर दिन होता था त्योहार
अब तुझे न कह पाने से ईद मुबारक न रही
अब कहां जाएं कहां होगी हमारी सुनवाई
करती थी इंसाफ ऐसी अदालत न रही
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कोटरें पेड़ों की ऑंखें होती हैं
जिनमें अपना घर बना लेती हैं चिड़ियाॅं
किसी को ऑंखों में बसा लेने वाला प्रेम
कोई पेड़ों से सीखे
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वस्ल का हर दिन हिज़्र का लगा हमको
इसलिए हर छिन ज़ीस्त का लगा हमको
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मुस्कुराने लगे हैं रोज़, तेरे जाने के बाद..
कहने लगे हैं झूठ, तेरे जाने के बाद..-
रूदाली गा ली मैंने बिछड़न वाली रात
किसी को जीते जी मार देना कोई आसान बात नहीं।-
Grammatical mistake
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Overheard someone say..
He is the incharge of Coorg Govt. Hospital,
But he is very good..
I wish he had said "and" instead of "but"..
I hope sentences like these,
Are just silly grammatical mistakes.-
ता’उम्र सो जाने को दिल चाहता है,
ख़्वाबों में तेरा आना जाना जो है.
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Waiting ends in two ways,
One - when the desires are fulfilled.
Two - when the time's up.
I will wait for you till my time's up.
Or you, end my wait, and hold my time.
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