आंसुओं के सफ़र का
आंखों से गुजरकर गालों तक ही
मंजिल का रास्ता जो ठहरा था...!!!-
निविशेष निवेदिता, निहायत नीतिपरक,
नित्य निराकुल, निश्च्छल, नियाजी नीतू!
निःसंदेह, निःस्वार्थ निगाहे निगहबानी,
निपुण निदेशिका, निकस निधि नीतू!
नीरव निरधी, निर्विवाद निष्ठा निसर्ग,
निष्पक्ष निरुपिति, निराडंबर नीतू!
निभृत, निमग्न, नियंत्रित नियतात्मा,
नीतिगत नीतिपरायण नीतिवान नीतू!
निर्दंभ नियत निरधी, निर्दल, नियामक,
निर्मल निवेष्ट, नींव निहित, निष्कपट नीतू!
निहाल निशमन, निरत निसबत, निजत्व,
निंदा निकंदन, निर्दोष, निर्भीक, निशेश नीतू!
!! राज सोनी !!-
यू तो ये मेरी छोटी बहन है,
पर ख़ुद को "सखी" और हमे "सखा" बुलाती है।
कृष्ण भक्ति का पाठ हमें,
अच्छे से समझाती है।
राधे कृष्ण की परम भक्त है,
उनके ही गुण ये गाती है।
आज सखी का जन्म दिवस है,
तो क्यों ना इनकी तारीफ़ की जाते है।🤪
यूं तो लिखने को और भी बहुत कुछ है,
पर अपने शब्दों को हम यही पूर्ण विराम लगाते है।
✍️✍️✍️-
"Love is not a temporary feeling or emotion.
Emotions and feelings change, sometimes daily.
But true unconditional love is everlasting."-
मांझी है तू,साहिल तक पहुंचाना
तेरा काम है
साक़ी मयखानों में बेचारा यूं ही
बदनाम है।-
आपके लिए मन के ज़ज़्बात लफ़्ज़ों मे भरती हूँ,
आज अपनी कविता मैं आपको अर्पित करती हूँ..
कितनी सुंदर लेखनी आपकी, बातों में कितना स्नेह,
पाकर धन्य हुई सखी! आप सी सखी का प्रेम!..
महादेव की अराधिका, आप कृष्ण की दिवानी हैं,
शख्सियत की मल्लिका आप, मोहन के कदमो की रानी हैं..
कितनी खूबसूरती से आप प्रेम को अल्फाज़ों में पिरोती,
इतनी सुंदर कवितायें पढ़ मैं अपनी सुध बुध खोती..
( मेरे शेष भाव अनुशीर्षक में)-
आइये हम सब एक छोटा सा प्रयास करें श्री कृष्ण भगवान जी के सुंदर भजनों को कान्हा को ही सम्बोधित करें।
आप सभी सखियों और भैया से निवेदन है कि एक बार पूर्ण जानकारी के लिए caption जरूर पढ़ें।
धन्यवाद सभी का-
प्रिय दिशा सखी,
आप कृष्ण को अपना आराध्य मानती हैं।
उन पर लिखना अपना सौभाग्य मानती हैं।
आपका लेखन बहुत अच्छा है।
आपका कृष्ण प्रेम बहुत सच्चा है।
मुझे कान्हा ने इतनी अच्छी सखी दी है,
इस रूप में उन्होंने मुझे बहुत ख़ुशी दी है।-
સંગાથી રહ્યા શબ્દોનાં સફરમાં
અણજાણ લાગણીઓ
પરીચીત બની સહવાસમાં...!!!-