//द्रौपदी की व्यथा//
आज चलो मोड़े कथा पृष्ठ,
उस युग युगांतर नारी में।।
जिसके सतीत्व की रक्षा में,
स्वयं कृष्ण अवतारित थे सारी में!
।।पूर्ण कविता अनुशीर्शक में।।-
कान्हा के संग बितायी हुई काल्पनिक शाम के ए... read more
//अमरगाथा अभिमन्यु की//
षष्ठम तथा अंतिम सर्ग
उत्तरा-द्रौपदी का
हृदय विदारक विलाप
[सम्पूर्ण सर्ग अनुशीर्षक में पढ़ें]-
सुनो सुनो दिन आया आज
इक बड़ा ही खास है!
मेरी दिशा का जन्मदिन और,
यहाँ पर त्यौहार है!
सदा प्रसन्न रखों श्याम इन्हें,
श्यामा जो तुम्हारी है!
दिया तुम्हें है दिल इसने
और जान तुमपर वाऱी है!
उपहार तुम्हें मैं आज दूँ,
संग ले प्रेमपूर्ण ये भाव!
संग रखें मोहन तुम्हें,
और पार लगाएं नाव!-
आप सबसे एक निवेदन:-
जैसा कि सब जानते हैं कि
मोहन का जन्मोत्सव अर्थात जन्माष्टमी
का त्यौहार आ रहा है!
तो मैं चाहती हूँ कि आप सब इसे हम सबके
लिए खास बनाने हेतु कुछ नए नए
विचार बताएं!
-
आपके जीवन में खुशियां खुशियाँ हो,
न कहीं दुःख ने आपको घेरा हो!
हो प्राप्त आपको अवसर नए नए,
आपके मन में मोहन का बसेरा हो!
इस रक्षाबंधन के त्यौहार पर और,
सदा मैं आपको पलक बिठाऊं!
दिन बड़ा प्रेम पूर्ण था कल,
आपको मैं कुमकुम तिलक लगाऊं!
लेकर ज्योति तिलक की थाली,
आपके हाथ रक्षा सूत्र मैं बाँध दूँ!
जी चाहता है अपने मोहन से,
मैं आपके वास्ते सारी खुशियाँ मांग लूँ!
जीजी कहकर हृदय लगा लूँ,
मन भर के मैं आपको प्यार करूँ!
हाथ में बाँध दूँ राखी मैं,
और सिर तिलक चंदन से श्रृंगार दूँ!-
अर्द्धनिशा हो गई प्रकाशित,
आया नया विहान है!
जो चढ़ गये सारे बलिवेदी पर,
सारे भारत की संतान हैं!
(अनुशीर्षक..!)-
//अमरगाथा अभिमन्यु की//
पंचम सर्ग:
अभिमन्यु शौर्य प्रदर्शन
और
अभिमन्यु वध
[सम्पूर्ण भाग अनुशीर्षक में पढ़े]-
//अमरगाथा अभिमन्यु की//
चतुर्थ सर्ग:
अभिमन्यु उत्तरा संवाद
तथा
अभिमन्यु का चक्रव्यूह में प्रवेश
[सम्पूर्ण भाग अनुशीर्षक में पढ़ें]-
//अमरगाथा अभिमन्यु की//
तृतीय सर्ग:
अभिमन्यु का भीष्म से युद्ध
तथा
चक्रव्यूह निर्माण की योजना
(सम्पूर्ण भाग अनुशीर्षक में पढ़ें)-