सीता को रावण से बचाने वाला
खुद समाज से न बच पाया था
समाज की ना सुनने वाला रावण
राम के हाथों परलोक सिधाया था-
तूम तूम हो , हम हम हैं
पता लापता है मनुष्यता की ,
मज़हब मे हम सब इस कदर गुम हैं।।
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God forgive my sins,
as I forget that
I have ever
committed them.-
उन बादल की गरजन जो पहले ही अपना सारा पानी खत्म कर चुके हों, कोई वर्षा उत्पन्न नहीं करती लेकिन जो वास्तव में वीर होते हैं वे बेकार में गर्जना नहीं करते, वे अपनी वीरता मैदान में दिखाते हैं !
"रामायण से सीख"
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न हिन्दू गद्दार है, न मुस्लिम गद्दार है|
गद्दार वो है, जो लोगो को समझते हथियार है|
और करवाते अपने देश पे ही वार है|-
मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर से ईश्वर अलग नहींं होगा,
ये हिन्दुस्तान है, जाति-धर्म से भाईचारा कम नहींं होगा!
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इनसान अगर तूम होते, तोह इनसानियत ज़रुर परख पाते।।
तूम तो ठहरे धर्म के व्यापारी,
तूमहे उल्फ़त-ए- मुल्क शब्द कहांँ समझ आते
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Just imagine, If so many religious beliefs may guide the same thing to everyone, something would have different or everything..🤔
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मैं तो एक इंसान हूं, इंसानियत मेरा काम है|
इस दुनिया ने दिए मुझे कई सारे नाम है|
कोई कहे मुझे सिख, कोई कहे मुस्लिम,
कोई हिन्दू, तो कोई कहता ईसाई है|
पर, इन सब ओहदो से भला मुझे क्या काम है|
मैं नहीं जानता इन दीवारों के पीछे किसका नाम है|
पर मैं इतना जानता हुँ, मुझे बांटने वाले भी इंसान है|
किसी ने मुझे जला दिया, किसी ने मुझे दफना दिया|
आखिर कर मुझे मिट्टी में ही मिला दिया|
अब बता मेरी क्या पहचान है, तू तो बॉटने में महान है|
नहीं बता पायेगा तू, क्योकि तेरे गढना का तू ही अंजाम है|
पर माफ़ कर मुझे, तेरी गढना से मुझे क्या काम है|
मैं तो आया इंसान था और जाऊंगा भी इंसान हुँ|-
इंसानी फ़ितरत है जानिब फ़ेर मे ना पड़ना
इनकी दुनिया मे सूरज मज़हबी ,चाँद भी फ़सादी ।।-