हुस्न-ए-पैमाइश को अब आईने की जरुरत नहीं
ख़ल्क़-ए-नुमाइश तो फिदा है तेरी सादगी पर-
जीते जी राहत ना मिली ए दिल
अब मरने में हमारे बवाल कैसा...
हंसने में थी जमाने की पाबंदियां तो
अब ख़ामोशियों पर ये सवाल कैसा...
नहीं पूछते ख़ैरियत हमारी तो रंज क्या
एक ज़र्रा ही हूँ फिर ख़्याल कैसा....
रेख़्तां भी हिला नहीं उसकी इनायत के बग़ैर
फिर खुद से भी और तुझसे भी ग़िला कैसा...
एक ख़लिश रह गई तेरे जाने के बाद कि
तूने भी इश्क़ किया होता मेरे हाल जैसा....-
"कोई कहता हैं मुझे चाहत हैं उनसे
सच कहुं तो दिल को राहत हैं उनसे "-
यूँ गफलत को वो अपनी चाहत कर गए
जो खुद राहत थे, करोड़ो को आहत कर गए-
मैं त्याग हूँ समर्पण हूँ ममता की भोली सूरत हूँ
झांको अपने ह्रदय कभी तो तुम्हारी ही मूरत में हूँ...
कर जाते हो गंदा मुझे अपनी ही गंदी सोच से तुम
लहू के हर कतरे में ज़रा गौर से देखो मैं ही तो हूँ...
मैं मुहब़्बत हूँ इबादत हूँ हया में लिपटी शराफत भी हूँ
इतिहास ग़वाह है जो छेड़ा मुझे तो कयामत भी मैं ही हूँ...
मत समझो कमज़ोर मुझे कि मेरा कोई असितत्व नहीं
हौसलों से दुनिया बदल दूं वो ज़ज्बा-ए-औरत भी हूँ...
एक रोज़ का हमको मान नहीं हर रोज़ ही इज़्ज़त चाहिए
दुनिया जहाँ की ख़्वाहिश नहीं नजरों में हिफ़ाज़त चाहिए
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Bistar me ranhe ranho me rukawat...
Ye koi ishq hai ?!! ya banho me bagawat...
Kya maine rakhate ? jism ki rahat...
Pechan lete agar, kya hoti hai chahat...-
तेरे लबों में एक इबादात है...
तेरे निग़ाहों में एक राहत है...
तेरे यूं रूठने में रियायत है...
तुझे चाहना एक ज़ियायत है...
तेरे बाहों में रहना एक हिफ़ाज़त है...-
एक चाहत थी मेरी राहत को मिलेंगे किसी दिन
ना अब मुझे राहत है ना आज इंदौर में राहत है
Rahat indori
01-01-1950
11-08-2020-
Duniya deewani thi, humari bas ek chahat ki
Aur wo dua mang rahi thi humare dil ke rahat ki-