सब्र इख़्तियार करना दिल को थाम लेना तुम
वो सब ठीक कर देता है रब का नाम लेना तुम-
رب کو میں اپنے منھ کیا دکھاوں گا اے حفیظ
سجدہ ادا جو شکر کا پیہم نہیں کیا
حفیظ بن عزیز
रब को मैं अपने मुँह क्या दिखाऊंगा ऐ हफ़ीज़
सजदा अदा जो शुक्र का पैहम नहीं किया
( पैहम = लगातार, बराबर )-
महसूस किया है दिल ने इश्क़ और दर्द को उस..............हद तक ,,
हरवक्त दुआओं में हाथ उठे रहते कि पहुँच जाए मेरी अर्जियाँ रब तक ,,-
कब से तेरी राह तकते तकते मेहमान तेरे घर से चला गया,,
कैसा इश्क़ का मसीहा है तू कोई मायूस होके तेरे दर से चला गया,,-
तू आला है और है ऊँची तेरी शान ओ रब्बा
तू ही रेहवर और तू ही है मेहरवान ओ रब्बा
तेरी खुदाई है ज़र्रा-ज़र्रा तेरे जैसा कोई नही
तूने ही बनाया,ये खूबसूरत इंसान ओ रब्बा
हसीं बनाये जबाँ बनाये तूने ये इंशां बनाये
जमीं बनाई और,बनाया ये ज़हान ओ रब्बा
तेरे इशारे चले हवायें तेरे इशारे भागे बवायें
तेरे इशारे टिके,ये ज़मी आसमान ओ रब्बा
सत्तर माँ'ओं से भी ज्यादा तू प्यार करे है
तू रेहम दिल है और बड़ा कद्रदान ओ रब्बा
तेरी खुदाई तू ही जाने किसको क्या देना है
दुःख भी तू ही, तू ही देता मुस्कान ओ रब्बा-
हम अच्छे है या बुरे
हमारा रब जानता है
किसने दिया धोखा
वो सब जानता है-
फक़त इन्सान ही तो है वो शख्स भी
मुहब्बत में जिसे तुम खुदा कहते हो!-
अपने रब को दिल से याद किया करो,
इबादत का लहज़ा जो भी हो अदा ज़रूर किया करो...
तू चंद मुश्किलात लिए ख़ुद को अकेला मत समझ ऐ बंदे,
अल्लाह है तेरे साथ इस बात का हरदम शुक्रिया अदा किया करो...।।।-
उस रब से दुआ में उसने माँगा मुझे,
आज उस रब का दर्जा दे दिया।
टूटी हुई पलकों से उसने मांगे मुराद,
आज उस पलकों पर मुझे पनाह दे दिया।
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