मालूम नहीं था की ऐसा भी एक वक़्त आएगा
इन बेवक़्त मौसमों की तरह तू भी क्षणभर में बदल जायेगा-
दिल के शहर में हर एक मौसम बदले हैं जनाब,
चाहे वो इश्क़ की बारिश हो या अफसोस की पतझड़ ।-
Rukhsat karde apni
zindagi se ab mujhe.....
Na jane kaisa daur aya
hum dono k darmiya.....
Mat khinch mujhe apni aur k
tujhe alwida na keh saku....
Jb bhi yaad karoge barish ki
boond k roop mein barsungi...
Ho sake to mehsus krna mujhe bin
mausam ki barsaat mein....
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Bina Saaz ke ye Dil Nagma Gaa Raha Hai
Mohabbat Ka Mausam Dilo Par Chhaa Raha Hai
Tera Naam Kaha Kaha Nahi Hai Ye Pooch?
Dekh Tera Zikr To Shayari Mein Bhi Aa Raha Hai...-
मौसम का ऐतबार ज्यादा नही किया
उसने हमसे प्यार ज्यादा नही किया
कुछ तो हमने पलटने मे देर की
उसने इन्तजार ज्यादा ना किया-
तेरा मुझसे मिलना...
जब भी याद आता है...
इन आंँखों में तब-तब...
बेमौसम बरसात आता है...-
कि न जाने क्यों तुम्हारे शहर का
मौसम बड़ा सुहाना लगे
कि जी में है कि एक शाम को चुरा लूँ ,
अगर तुम्हे बुरा न लगे !
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मौसम-मौसम भटकता बंजारा हूँ मैं तेरे मौसमी इश्क़ की तलाश में,
कहीं खुद की साँसों से ही वास्ता न तोड़ दू तुझ गैर को पानेकी हताश में।-
Mujhe kaha waqt
Dekhu mausam suhana
Teri yaado se niklu to dekhu zamana..❤️-