खुली किताब सी मैं..
पढ़ने दिया था तुमको..
जाने क्या सोच कर..
लिखना शुरु कर दिए.
खुली किताब सी मैं..
जज़्बात मेरे अपने..
जाने क्या सोच कर..
अपने अल्फ़ाज़ पिरोने लगे..
खुली किताब सी मैं..
अपने रंग के कवर में लिपटी..
जाने क्या सोच कर..
कवर बदलने शुरू कर दिए..
खुली किताब सी मैं..
आज़ादी में डोलने वाली..
जाने क्या सोच कर..
आलमारी में सज़ा दिए..
हाँ थी अधूरी किताब..
नहीं करनी है ऐसे पूरी..
जैसी हूँ वैसी पढ़ो सरकार..-
27 AUG 2020 AT 7:39
24 SEP 2020 AT 8:38
मन का वास कोई ना जाने, शरीर में कोनसे भाग में छिपा कोई ना पहचाने,
आए - जाए विचलित भाव, शत्रु है, या मित्र कोई ना जाने।-
9 FEB 2019 AT 23:25
क्यों मेरे आँसूयों की लोगो में ज़िक्र करती हो
चले आओ जो इतनी भी फिक्र करती हो।-
3 DEC 2017 AT 7:08
Kabhi-kabhi apni saari ex ko dekh kar , mera bhi mann karta hai ki mai bhi unhe apni Shaadi me bulau .
Duaa'ye to nahi dengi jalan ke maare , par gusse me ghar ka ek-do kaam kar hi dengi .-
6 OCT 2021 AT 18:19
गर मन में नाराजगी हों
किसी भी बात को लेकर
तो उसको कुछ पलों के
लिए मिटा दिया करो यूहीं
ख़ामोश रहने से मन, दिल
और दिमाग इत्यादि उलझन
में पड़ जाते होंगे न तुम्हारे...
♥️🖤♥️-
19 MAY 2020 AT 22:22
Mann ichchhaon mein atka raha
aur
Zindaggi hamein jee kar bhi chali gayi.-