बचपन में सोचता था, ढेर सारी भाषाएँ सीखूँगा
अपने कौशल और लगन पर अटूट विश्वास था
आज भी उसी भाषा में व्यक्त कर रहा हूँ
जिसे सबसे कम सीखा – हिंदी
मेरे लिए भाषा नही, एक सहजता है
भाषा की बाधाओं से दूर का एहसास है
जैसे शब्दों का ना ख़त्म होने वाला पिटारा मिल गया हो
ये मेरे बचपन की भाषा है
हिंदी मैं हूँ और मुझमे हिंदी है.
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those words
within me,
that were broken
between my teeth,
Before I could speak;
You left.
I wonder if you
came back,
will you ever
understand the
language of broken?-
बोल रहीं हैं...
सब कुछ...
बिना लफ्ज ...
निकाले।
कमाल है...
ये लहजा...
मिसाल हैं ये आँखे।-
चाहे जितना करलो पीछा
ये हाथ नहीं आएगी।
ये उर्दू वो तितली है जनाब
जो चुपके से दिल में समा जाएगी।-
रीवा के लडिका
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रिश्तेदारी निपोरएं विधायक से, अऊ तेल नही है गाड़ी मा,
भले सगले दसवीं फैल हवएं,मगर नौकरी चाही सरकारी मा।
किताबों से कोऊ सरोकार नही,जबरन लगे हैं तैयारी मा,
अऊ दस साल से दादा भाई कहत फिर रहे हैं,की फारम भरे हैंन पटवारी मा ।
अऊ कऊन सी गाड़ी ईं ले नही सकें,नास कर दिहिन बाप के खेतन के,
बेयौहरई मा इनके बेढ़ सकान, अब बाग रहे पीछे नेतन के।
सरकारी दफ्तर मा ये पेले आपन जलवा, मारत हैं डायलाग कऊनो एक्टर के,
अऊ दादू बंद है जेल मा तबसे, जब से अडाए रहें
कट्टा कलेक्टर के।
अऊ जब से हाथ मा आयी या पल्सर, दादू देखत नहीं हैं दाएं बाएं।
सिग्नल मा गड़ी ईं रोकय नही,बस जाए दे कक्का साएं साएं।
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आज तुम पढ़े-लिखे हो
समाज में अच्छा नाम है तुम्हारा
फटाफट इंग्लिश बोलते हो
पर हिंदी बोलने से डरते हो
कोई कुछ बोल ना दे
बेइज्जती ना हो जाए
याद करो जब भी
चोट लगी
तुमने मॉं को पुकारा
सबसे पहला शब्द
मॉं था तुम्हारा
बचपन में टूटी-फूटी
हिंदी में बोलना सिखा
फिर क्यों आज
हिंदी को भूले हो तुम
अपनी मातृ-भाषा को
बोलने से डरते हो तुम
हिन्दी से हो तुम
हिन्दी से हिंदोस्ता
अपनी मातृ-भाषा का
फहरता रहे तिंरगा 🇮🇳-
'Feelings'
The only true and ultimate language without any interpretation between/for all living beings.-