Mohabbat ka kaisa ye Karj...💞
Hum Chuka Rahe hain...👈
Woh jo sayd hame bhula chuke... 🙎
Hum unhe ik pal ke liye bhi... 💏
Nahi bhula Pa Rahe hain...😌-
❛कर्ज़ होता तो उतार भी देते,
कमबख़्त "इश्क़” है…
चढ़ता जा रहा है❜-
तेरी मोहब्बत का कर्ज तो आज भी है मुझ पे ,
महज तेरी इस बेरुखी का मर्ज नहीं है मुझ पे .!!!-
गर कर्ज़ ना होता कुछ चेहरों का मुझपर
तो जिंदगी को गिरवी रख मैं मौत उधार ले आती-
तमाम बुद्धि के तर्क देखें मन की भावनाओं में फ़र्क देखें
चेहरों पर असली मुखौटे और तमाम फर्जी फ़र्ज़ देखें
जिन्दगी के तमाम अनुभव और भी कमाल कर सकते थे
कुछ लोग जमाने में औरों के लिए चुकाते कर्ज देखें-
ऐ इन्सान
तुझे मैनें बनाया हैं ...
जमीन पर तुझे यूँही नहीं उतारा हैं ...
कुछ कर्ज हैं
कुछ फर्ज हैं तेरे,
जा कर लें अपनें कर्म पूरे
निभा लें अपनें धर्म सारे
फिर भेजूँगा वही तुझे
क्योंकि
तुम ही मेरी वो रचना हैं ...
जिसमें झलकता मेरा रुप हैं ...
मेरी प्रीत हैं ...-
क्या गलत क्या सही
अब कुछ भी नहीं जानना है
जैसी चल रही है जिंदगी
उसका कर्ज भी अदा कर चुके हैं हम-
जितने अपने थे बुरे_वक्त में, सब बिछड़ते चले गए...
शहर आने को कर्ज लिया था, ब्याज जुड़ते चले गए...
महामारी में नौकरी खत्म हुई, किराए बढ़ते चले गए...
यहां एक तिनका भी नहीं भरता, कुछ लोग गोदाम भरते चले गए...
अब बेरोजगार शहर में क्या करते, गांव_पैदल चलते ही चले गए...-