सबर में ऐसी बेसबरी नही मिलती
तू जहां ना हों, वहां आहें नही मिलती
कह रही है मेरे अश्को की बूंदों की रवानी
चाहत में भी आसमा को जमी नही मिलती ।-
ज़िंदगी में हर किसी का मज़ा लेना, हर हालत को भी ख़ुशी में सज़ा लेना , ओर हाँ नाराज़ होना तो फ़िज़ूल है ग़ालिब , पर इश्क़ को भी एक बार आज़मा लेना
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ख्वाहिशें होंगी पूरी
हौंसले है बुलन्द
थक कर क्यूं रूकूं
मंजिल मेरे सामने है-
Nahi karta mai jami pe rah kar
Aasman ki baate
Muhabbat ki galiyon se wakif hun mai
Kya karunga sitaron ke jaha me ja ke-
इश्क में भिगो दिया उसकी एक आवाज ने
ना जाने कितनी दूर तक चले गए हम उसके साथ में
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कसमें खाई थी उसने मोहब्बत के डोर की,
किसे मालूम था एक दिन ये डोर टूट जाएगी।
ज़मी से दूरियां इतनी जो हुई है "आकाश"
अब बादल के गरजने से ज़मी भी डगमगायेगी।-
दिल में दर्द बनकर
होंठों पे हंसी की तरह रमी है
ये तेरी नहीं तो फिर किसकी कमी है।
हर लम्हा ख़याल है तेरा
तेरी याद अब भी दिल में थमी है।
हसरतें हाथ से फिसलती हैं
जैसे काई सी इनपर जमी है।
नजरें तलाश रही हैं तुझको
किनारों पे इनके बहुत नमी है।
थक गयीं हूँ दर को देखते हुए
अब तेरी दीद लाजमी है।
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उम्मीदों की निगाहें टिकी वहाँ..
ज़मी तो खो गई..
आसमान बाक़ी है..
चलो वहीं एक घरौंदा बना ले..-
Tmhe nasib na ho hm sa
koi chahne wala ..........
Ab hme bhi tm jaisa farebi
dubra nhi chahiye..................!-