अतीत मे ही खोये हुए हो छोटू , अब तो पेड़ भी जर्जर और पत्ते भी सूखे
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मुस्कुराने का हुनर तो खूब आता था छोटू कम्बकत आँखो की नमी ने मज़ा ख़राब कर दिया
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टूटने और बिखरने की आदत तो शुरू से रही छोटू अफ़सोस जोड़ने कोई ना मिला
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लफ़्जो मे कहा बयाँ होता हर लम्हा छोटू , कुछ पल जीने का मज़ा देते है
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रोशन है तुज़से मेरे प्यार का जहां जो बात तुझमें है छोटू , वो किसी ओर में कहा
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कभी मिल सको तो मिलना , कुछ कहना - कुछ सुनना , अगर ना मिल सको तो छोटू , खुश रहना
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कारवाँ चलता रहा ओर कस्ती टूट गयी , देखते ही देखते ज़िंदगी छूट गयी ,ओर सहने वाले भी क्या ग़ज़ब सहते है छोटू , बेवजह आँखो से बारिश फूट गयी
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झूट बोलकर जुड़े रहने से अच्छा है छोटू , सच बोलकर मसला ख़त्म कर दो
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इंसानो की बस्तियाँ तो कब की तबाह हो गयी छोटू , नामुरदो की बस्ती में रहना पड़ता है कभी राख बनकर तो कभी इंसान बनकर
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अब उम्र के इस दोर में एक आवाज़ देखता हु , में खिड़की से बाहर देखूँ तों मोसम बार बार देखता हु , ओर किसी को शिकायत है मुजसे तो कोई ख़फ़ा है मुजसे , में जिधर भी देखूँ में तो यार देखता हूँ
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