अच्छा करते हो जो ,
दिन में शराफत का नकाब पहन लेते हो .
क्यूँकि ज़माने को धोखा पसंद है आइना नहीं.-
वसीयत हस्ताक्षर मांग रही है.
गांव के मुहल्ले में शहर वालों
हम अनपढ़ है कहां कर पायेंगे.
पेशा होगा ये शहर में तुम्हारा क्यों?
पैसे से बस्ती खरीदने चले हमारी.
ये इमां वाले है सहाब कहां बेच पायेंगे.
अंगूठा लगा देते हम अगर
स्याही ये मिलाबटी ना होती .
मरा जमीर, गजब बाधे पे
हम वाह कहां कर पायेंगे.
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ज़रा हिफाज़त से रखो दिल के ज़ज़्बात , हर कोई यहाँ सच्चा नहीं ,
ये बेइमानों की दुनिया साहब, ज़ियादा सदाक़त में जीना अच्छा नहीं।।
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वाकई अगर दुख बांटने से कम होता,
तो शायद आज दुनिया में कोई दुखी नहीं होता !!-
हादसा था वो कुछ ऐसा,
की मौत का मंजर देख लिया।
हमें बचाने के लिए उस रात,
इत्तफाक ने क़दम रख लिया।
समझदार बनने की नीयत थी मेरी,
नादानियों में ये कैसा जुल्म कर दिया।
दिल को तहज़ीब सीखा रहे थे जिस रात,
एक मोहतरमा ने सम्मान पर चोट कर दिया।-
खुदा ये कैसा है तेरे मिलन का खेल?
हर शख्स यहाँ मोहरा बन बैठा है,
चाल तेरा है और मोहब्बत को जेल।
इंसान अबतक समझ ना पाया,
मोहब्बत में बाज़ी,क्यों उनके हाथ न आया?
रानी बचाने के लिए,यहाँ हर सैनिक ने जान गवाया।
देख रहा है वो शिद्दत हमारी इन कुर्बानियों में,
सुर्ख आँखों से जब ये लहू टपक आया।
कुछ इस तरह ख़ुदा नें इंसानी फिदरत आजमाया।
मुख़ातिब हुआ इंसान जब उस खुदा,
हज़ारों शिक़वे गीले सुनने से पहले
खुदा ने इंसानों से बस एक सवाल कर आया...
मोहब्बत होती अगर दिल से तो,
आसानी से मिलती हैं जो बाज़ारों में,
उस तवायफ को मोहब्बत क्यों नही मिल पाया?-
बड़ी अजीब है ये मेरी खयाली दुनिया, 💕
ख्वाबों का सफर खत्म नहीं होता, 💕
और कुछ पाने की चाहत कभी कम नहीं होती.💕-
ये दुनिया है जनाब
समुद्र से शुरू होकर
समुद्र पर ही समाप्त हो जाता है
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