In each step of viability there's a hindrance afore us and endurance is an aisle to grasp destination.
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ये आज कल के बच्चे भी ना दादी - बाबा की कहानियां नहीं सुनते,
बस NETFLIX और AMAZON PRIME की membership ढूंढ़ते हैं..
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कीर्ति तुम्हारी बरनी नहिं जाइ,
सृजन, त्याग, धीरज, ममताई!
छानि आय चहुं दिशि, जग पूरा,
कहीं नारी सम प्राणी नहिं दूजा!-
जिम्मेदारी क्या होता है कोई एक बाप से पूछें
कम पैसे में घर कैसे चलाया जाता है कोई एक मां से पूछें
बहन का इज्जत क्या होता है कोई एक भाई से पूछें और
एक अच्छा हमसफर क्या होता है कोई अपने दादा दादी से पूछें-
वो बचपन की ठंडी भी अनमोल लगती थी ,
हर साल दादी - नानी की बुनी नई स्वेटर जो मिलती थी ।
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बचपन में लोरी गुन-गुनके थी मन को बहलाई,
इस तन का हर कतरा जिससे वो है मेरी माई।
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ना दिल रोता था, ना ग़म का निशां होता था
ना दिमाग़ खोता था, ना वक़्त तन्हा होता था
कितनी ख़ूबसूरत होती थी वो शाम भी जब
दादी की कहानी में एहसास नया होता था
ना ज़िक्र किसी की, ना फ़िक्र किसी की होती
ना उम्मीद टूटती, ना यकीन फ़ना होता था
क्या दिन थे वो, जब हम भी मुस्कुराते थे
खेलते थे, पढ़ते थे, ख़्वाब बेइंतेहा होता था
कहीं घूमने जाने की ख़ुशी बेशुमार होती थी
अपनों के साथ सफ़र का मज़ा दुगुना होता था
वैसी सुबह, वैसी शाम अब आती ही नहीं है
वो बचपन तो सच में बहुत ख़ुशनुमा होता था-
पल्लू के 6or में कुछ पैसे बांध कर रखती थी
एक छोटा सा ATM मेरी दादी मां भी रखती थी
I Miss u dadi 😰-