माँ बनी तो माँ की हर बात सही लगी ।
उनकी अनुशासन और जज्बात सही लगी ।
क्यों डांटती थी हर पल और मारती भी थी।
अब समझी तो उनकी हर घात सही लगी ।
देती थी सीख मुझको पल पल कदम कदम पर ।
उनकी दी सीखों की सब सौगात सही लगी ।
मर मर के जी रही हूं खुशी की तलाश में ।
कितनी खुशी थी पहले वो हयात सही लगी ।
माँ डांटती थी क्यों अब बात समझ में आया।
माँ बनी तो माँ की हर बात सही लगी ।-
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।
रहबर राहे ... read more
सब नजर आते हैं एक आप ही नही!
आज भी लगता हैं आप आओगी और पूछोगी "सब ठीक हैं "
पर अब ये शब्द कानो तक आते ही नही !
जिंदगी में बहुत उलझने हैं, दादी पास आप भी नही,
मन करता हैं पहले के जैसे आपसे घंटों बातें करूं,
पर अब ये मेरी किस्मत में ही नही !
तस्वीरों से सजा घर की दीवार छोड़ दूर चली गई
ये दिल चुपके चुपके रोता हैं ! खुद ही चुप होता हैं
मम्मा पापा तो बहुत प्यार करते हैं मगर
दादी की प्यार की कमी खलती है मुझे आज भी
आप यादों में जिंदा हो दादी,
आज भी वो पल याद हैं,
लगता है कल ही की बात हैं..!-
बहुत दिनों से रात रुकी है
होठों पर एक बात रुकी है
आंखों के गांव में आकर
आंसू की बारात रुकी है
पर्वत होना कितना कठिन है
नदी बनकर बह जाओ.
हम सहते - सहते मर जाएं,
उससे पहले कह जाओ।-
कुछ लोग, उनकी बातें,कुछ यादें,
उनका प्यार और अपनापन
और उनसे बने रिश्ते कभी भुलाए नहीं जाते !-
मुझे लगता हैं
मैं कुछ और हो गई हूँ
तुम्हें पाने की दौड़ में
खुद कहीं खो गई हूँ-
बिखरे परे सपने सजाऊ कैसे?
टूटे कांच के इन टुकड़ों को उठाऊं कैसे?
दामन खुशियों का ना जाने कहां छूट गया मुझसे?
आंखों में अश्क भर सीने में दर्द लिए मुस्कुराऊ कैसे?-
घर बदल जाता हैं
परिवार बदल जाता हैं
सपने बदल जाते हैं
कुछ ही पलों में उसका
संसार बदल जाता हैं
मां बाप से मिलने जाती हैं
तो पति से पूछ कर
बेटी जब विदा होती है तो
हकदार बदल जाता हैं-