QUOTES ON #COMMUNALISM

#communalism quotes

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29 FEB 2020 AT 0:37

It's twelve,
and my eloquence fails me.

For my fingers are tirelessly smashing the keyboard,
trying hard to invent better euphemism;

that sums up the state of being able to smell, the blood wasting away, from across the nation;

that sums up the helplessness, when gory recordings play in a loop, and multitudes of people begin to reason.

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24 JAN 2020 AT 12:04

हर बात पर आग उगलनी चाहिए
आवाम सड़क पर उतरनी चाहिए

कभी बलात्कार, कभी रोष-विरोध
कहीं तो गरमी निकलनी चाहिए

तलवारों संग शोर मचाते नारे बस
ये बेरोज़गारियाँ सम्भलनी चाहिए

बस हिंसा, गुस्सा और शोर-शराबा
इस पीढ़ी की सूरत बदलनी चाहिए

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13 AUG 2021 AT 13:40

राम रहीम के नाम पर , इंसान इंसान से लड़ता जाता है।।
धर्म के नाम पर धर्म की ही बलि चढ़ाता जाता है।। 

प्रेम और भाईचारे का पाठ भी वो भूल जाता है।।
अयोध्या ओर बाबरी के दकियानूसी नारे लगाता है।।

इस कमजोरी का फायदा वो सत्ताधीश उठाता है।।
मज़हब के नाम पर अपना स्वार्थ सिद्ध कर जाता है।।

“सलीम और सलमा” को अब वो देशद्रोही बतलाता है।।
इतना दोगलापन इनके मन मे न जाने कहाँ से आता है।।

मंदिर मस्ज़िद के झगड़ो से क्यों ये पाक जमी लाल कर जाता है।।
“पीर की चादर और राम के भगवे से मिलकर ही तो वो ध्वज तिरंगा बन पाता है”।।

-Payal Porwal“शक्ति”

 

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सांप्रदायिक छुरियाँ!!

मिल गई हैं मेरी और उसकी मजबूरियाँ!
दरम्यां हमारे बढ़ती ही जा रही हैं दूरियाँ!
उस प्रेमी-दिल का दर्द भी बाँटेगा कौन?
चल रही हो जिस पर 'सांप्रदायिक छुरियाँ'!!

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12 APR 2021 AT 0:28

बेटी,
पंख फैला तू उड़ना,
इस स्वछंद गगन में,
मगर,
गगन सिर्फ उतना,
जितना दिखता अपनी छत के ऊपर।।

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19 JUL 2019 AT 16:29

it's third time for me, on NDTV India news channel..first was on Mob lynching, second- Ajitesh/Shakshi n third- Richa Bharti(conditional judgement).

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19 MAY 2021 AT 1:28

सियासत हमारे रिश्तों को भारत पाकिस्तान करने लगी ।
इंसानों को बाँट के हिंदू और मुसलमान करने लगी ।।

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तुम भी न, हद करती हो।

जालिम ज़माने का हाल पूछती हो!
मरे हुए खुदा से सवाल पूछती हो!
अरे, खुदा का घर भी बना रहा है इंसान यहां,
लगायी है किसने ये आग, किसकी मजाल पूछती हो?

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8 MAY 2018 AT 17:35

There's a fine line between communism
and communalism.

Quite literally.

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23 APR 2020 AT 6:24

ये क्या मंज़र है तुम्हारे शहर का,
सबने नशा कर रखा है ज़हर का।

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