शक्ति 🔱   (Payal Porwal “शक्ति”)
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शिव❣️
Joined 15 March 2019


शिव❣️
Joined 15 March 2019
24 NOV 2022 AT 19:41

न और मिल रहा , न छोर मिल रहा है...
ये फिज़ाओ का रुख किस और चल रहा है...
वस्ल, वफ़ा, इश्कज़ादो पर एतबार न करना दोस्त...
ये जिस्मानी महोब्बतों का दौर चल रहा है...

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19 NOV 2022 AT 23:13

टूटे दिलों का क्यों कोई सहारा नही होता...
तन्हा ही रहे हम, क्यों कोई हमारा नही होता...
वो तो ज़माना डरता है रुखसती के अफ़साने से...
कौन कहता है कि इश्क़ दुबारा नही होता...

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14 NOV 2022 AT 1:53

फ़िज़ाओं में खुशबुओं का खुमार है छाया..
मेरी प्यारी वकील साहिबा का जन्मदिन है आया..

मस्तिष्क से परिपक्व और स्वभाव निर्मल है..
खूबसूरती का जिसकी हर कोई कायल है..

मम्मा की दोस्त, और पापा से लड़ाई का अलग अफसाना है..
कभी सख्त ,कभी उदार तो कभी इसका मिज़ाज शायराना है..

नारीवाद की पुरोधा और मन मैं बसता संविधान है..
ज़िद , जंग और जुनून ही जिसका एकमात्र विधान है..

मरुभूमि की तपन में जो पानी की मिठास है..
मेरी उलझी सी जिंदगी में सुकून की आस है..

जन्मदिन पर तुम्हारे एक छोटा सा उपहार है..
तेरी खुशियों के आगे ये “शक्ति” भी कुर्बान है..

- Payal Porwal “शक्ति”



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4 OCT 2022 AT 8:27

नज़रें मिली
नज़रें झुकी
अधरों से फिर मुस्काना क्या..?
जो रुक गया
तो मिल गया
जो चल दिया उसे पाना क्या..?

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8 JUN 2022 AT 20:07


न रुखसत हुआ , न उसका कोई पयाम मिला..
तिश्नगी के हक में हमे ,तन्हाई का इंतज़ाम मिला..
मुर्शिद, क्यों करे हम गिला इस नादां जमाने से..
हमें तो अहल-ए-दिल से ज़हर वाला जाम मिला..

~Payal Porwal“शक्ति”

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14 JAN 2022 AT 1:29

प्रेममार्ग की राहगीरी में मुखातिब हुई ,,
अनेक वेदनाओं से ,अनेकानेक परीक्षाओं से,,
निराशा , हार , मायूसी हाथ लगी,,,
पर अंततः मेरी आत्मा भी प्रेममयी हो गयी,,,
पर शायद तुम अंजान रहे, इस चिर परिचित द्वंद्व से,,,,
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किंतु,, महसूस कराना चाहूँगी में अपना प्रेम तुम्हें “मरणोपरांत",,,
जो नही विश्वास हो तुम्हे तो ,,प्रमाणस्वरूप,,
पंचतत्व में विलीन होते उस कलश की राख को जो महसूस करोगे ,,,
तो पाओगे ,,“तुमसे एकाकार होती मेरी रूह और उसमें समाहित विशुद्ध प्रेम ”,,,,
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समझ नही आता ,, क्या है ये??
अथाह गहन कल्पना सागर में गोते लगाता मेरा अल्हड़ मन,,,
या
पुरुषत्व में स्त्रीत्व ढूंढ़ने की मेरी नाकाम कोशिश...


-PAYAL PORWAL{शक्ति}


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14 NOV 2021 AT 10:46


श्रृंगार की अभिव्यक्ति औऱ वात्सल्य से सराबोर है।।
अवतरण दिवस पर तुम्हारे खुशियां बिखरी चहुँओर है।।

सादगी और सीरत की खूबसूरत इबारत है।।
मेहनत और त्याग ही जिसकी रिवायत है।।

वैसे तो घर में छोटी है ,पर मस्तिष्क परिपक्व है।।
माँ पापा की लाड़ली , और मेरी जीवंतता का तत्व है।।

शेरो शायरी की शौकीन पर मन मे बसता संविधान है।।
दुनियदारी से परे, जिद और जुनूनीयत ही जिसका विधान है ।।

सोचा जो था तुमने , उस हर इक मंज़िल को पाया है।।
अपने सपनो को पूरा करने से तुम्हें कहाँ कोई रोक पाया है।।

जन्मदिन पर तुम्हारे एक छोटा सा उपहार है।।
तुम्हारी खुशियों के आगे ये “शक्ति” भी कुर्बान है।।

-Payal Porwal “शक्ति”


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1 NOV 2021 AT 10:54

ज़ेहन में दर्द की तस्वीर सी उभरती है..
सिसकियों की आहट में भी कसक सी गूँजती है.
मन करता है रब से छीन लाऊं आपको..
पर आपकी रूह तो हमारे दिलों में बसती है..

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19 OCT 2021 AT 10:49

कुछ थोड़ा कुछ पूरा सा रहता है,
ये चाँद भी अधूरा- अधूरा सा रहता है,

अंधेरों में दिये लिए लोग फिरते हैं यहां,
उजालों पर उदासी का पहरा सा रहता है,

मोहब्बत के गलियारों में वो मेहमान है फकत,
दिल मे मेरे मगर रहबर सा रहता है....

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18 OCT 2021 AT 10:15

कहते है इश्क़ है ,मगर ज़िक़्र सरेआम नही है..
धुंआ धुंआ है चारों तरफ , यहाँ कोई मेहताब नही है..
बेखबर गलियों में ,गुमशुदा होने वाले,,,
सुन!! महज़ इक पन्ना है तू , पूरी किताब नही है..
-Payal Porwal“शक्ति”

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