Great people create great people.
Be one of them.
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नारी का जीवन
क्वारी से बहयता बनी
बेटी से बहु बनी, बहन से बनी भाभी
बुआ से मामी बनी, प्रेमिका से बनी पत्नी
मौसी से मां बन गई
अल्हड़ से समझदार, नादान से जिम्मेदार बनी
बाबुल का आंगन छोड़ ससुराल चली
देखो "मैं कितनी बदल गई "
खुद को भूल सबको खुश रखने लगीं...-
The touch..........
When your fingers,
Play around my back,
Making me surrender my soul,
Into your arms,
With absolute,
No fear, only peace,
No shame, only love,
And No doubt, only trust.......
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यूं ही तकता, चांद को, रात भर,
कब सूरज की किरणे, आंखो को छू गया,
पता ही ना चला।
समय, गुजरता ही चला गया।
कब इतने साल, बीत गए, पता ही ना चला।
दुनियां देखने की, आस जगाएं मन में, बरसों से।
कब एक कमरा ही, दुनियां बन गया, पता ही ना चला।
समय चलता रहा, सफर चलती रही।
जिंदगी बदलती रही, बस ये ज़िद्द ही ठहरी रही।
हर दिन नए कल की चिंता, हर दिन बीते कल का बोझ।
कब आज, कल बनकर निकल गया, पता ही ना चला।
बोझ से भरा मन, उदास हो कर, बिखर गया।
मगर जीने की आस, हौसला का दामन, थामे रखा।
अंधेरा आज फिर आ गई, कल चाहे, जो भी हो, जीवन में।
कल फिर बेहतरीन होगा, मन ने कहा, फिर एक बार मुझसे।
सब कुछ बदलेगा, एक दिन, खुद को बस, थामे रख।
ये ज़िद्द है, ज़िद्द ही सही,चाहे जो हो,
अधूरा सफर छोड़ कर, मुझे कही जाना नहीं।-
Change happens.
But how?
Super subtle and continuous.
Unnoticeable to the ones who see the factors every day.-
“A wonderful organization goes to ruin when the administration is adamant to change.”
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उनाड, अल्लड आणि विचित्र मनाची उलघाल नुसती
शेवट मृत्युच तरी चिंतेचा कळप नुसता
कशाला ती घालमेल?
जाताना जर अंगावरील कपड्यांचा भरोसा नाही
तर जमिनीच्या छोट्याशा तुकड्याचा तरी हट्ट का?
जगायला जर पोटातील भूक कारणीभूत आहे
तर अन्नच खावे ना;
उगीच मनाला पश्चाताप का?
आनंद, शांती कमवण्यासाठी पैशांचा घाट का?
यम दूताने ठरवलं आज या देहाचा अंत आहे
तर तुमच्या नोटा काम करतील का?
मग लालसा नेमकी कशाची
आहे त्यात सुख का नाही?
तन,मन, धन तुमचं
मग चालवताहेत ते दुसरे का?
बघा बुवा.....-
হাঁহিবৰ বাবে বিৰাট কিবা-কিবি বিচাৰি নুফুৰিব। সৰু-সৰু বিষয় কিছুমানতে সুখ বিচাৰি লওক, প্ৰাণ খুলি হাঁহক! পৃথিৱীত এনে কোন মানুহ আছে যাৰ জীৱনত এখুদমান হ’লেও দুখ নাই! পৃথিৱীৰ প্ৰতিখন বুকুতেই উমি উমি জ্বলি থাকে দুখৰ একুৰা জুই! সেইবুলি আপুনি জানো নহঁহাকৈ থাকিব? ফুলি থকা গোলাপ পাহলৈকে চাওকচোন, কাঁইটৰ মাজত থাকিও মিচিকিয়াই থকা যেন নালাগেনে! দুখৰ কথা ভাবিয়েই যদি আপুনি সময়বোৰ কটায় তেন্তে সেয়া এদিন আপোনাৰ অভ্যাসত পৰিণত হ’ব। সেয়ে কৈছোঁ, দুখক আপোনাৰ মনত খোপনি পুতি ল’বলৈ সুবিধা নিদিব। হাঁহিবলৈ অভ্যাস কৰক, এদিন দেখিব দুখবোৰৰ বাবে আপুনি মৰীচিকা হৈ পৰিছে!
জয়ীতা-